मुंबई जैसे भागते-दौड़ते शहर में जहां चारों तरफ गाड़ियों का शोर रहता है। हर कोई बस कहीं न कहीं जल्द से जल्द पहुंचने की दौड़ में है। ऐसे में इसी शहर में रहनेवाले 55 वर्षीय फिरोज़ पालखीवाला, पिछले 13 सालों से कहीं भी आने-जाने के लिए अपनी साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह ताईवान, तुर्की, ईरान और जॉर्जिया जैसे देशों में भी साइकिलिंग कर चुके हैं। इन दिनों वह साइकिल से भारत भ्रमण कर रहे हैं।
फिरोज़ जनवरी 2021 से भारत भ्रमण पर निकले हैं। वह अब तक तक़रीबन 4700 किमी की यात्रा पूरी कर चुके हैं। उनकी इस यात्रा की सबसे अनोखी बात यह है कि वह साइकिल से घूमते समय किसी होटल या लॉज में नहीं रुकते, बल्कि अपनी पसंद की जगह चुनकर सड़क किनारे टेंट में सोते हैं। वह खुद खाना पकाते हैं और बिना किसी तय प्लान के अपनी आगे की यात्रा करते हैं।
फिरोज़ ने द बेटर इंडिया को बताया, “साइकिल से यात्रा शुरू करने से पहले मैं थोड़ी बहुत तैयारी करता हूं। लेकिन मैं कोई प्लान नहीं बनाता। मैं लोगों से मिलता हूं, उनसे बात करता हूं और उनसे जानकारी लेते हुए नई-नई जगह घूमता हूं। कोई जगह अगर मुझे पसंद आ जाती है, तो मैं कुछ दिन वहीं ठहर जाता हूं।”
बचपन से हैं साइकिलिंग के शौक़ीन
पेशे से वकील फिरोज को साइकिलिंग का शौक़ बचपन से है। हालांकि समय के साथ साइकिलिंग करना कम हो गया था। लेकिन वह कहते हैं न कभी-कभी छोटी सी घटना आपके जीवन में बड़े बदलाव ला सकती है। ऐसा ही कुछ उनके साथ भी हुआ। अपने जीवन की उस घटना को याद करते हुए उन्होंने बताया, “13 साल पहले की बात है। मैं सुबह-सुबह अख़बार पढ़ रहा था। अख़बार में मुंबई के एक ऐसे डॉक्टर के बारे में खबर छपी थी, जो कहीं भी आने-जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते थे। उसी लेख से प्रेरणा लेकर मैंने दूसरे दिन से ही कार की जगह साइकिल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।”
फिरोज बताते हैं कि उस समय उनके पास हीरो कंपनी की एक पुरानी साइकिल थी। जिसका इस्तेमाल वह ऑफिस और कहीं भी आने-जाने के लिए करते थे। बाद में उन्होंने इंटरनेट पर साइकिल टूर के बारे में पढ़ा। फिर क्या था उन्होंने यात्राओं पर साइकिल ले जाने का फैसला किया। वह ताईवान, तुर्की, ईरान और जॉर्जिया जैसे देश साइकिल से घूम चुके हैं। उनके पास शहर में चलाने की अलग साइकिल है और टूर के लिए उन्होंने एक विशेष साइकिल बनवाई है।
बेटा भी करता है साइकलिंग
फिरोज ने बताया कि जब वह ताइवान गए थे, तो वहां उन्होंने 1100 किमी साइकलिंग की थी। पिछले साल वह अप्रैल में अमेरिका के वेस्ट कोस्ट की यात्रा पर जाने वाले थे। लेकिन कोरोना महामारी के कारण उन्हें अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। लेकिन फिरोज़ लम्बी साइकिल यात्रा पर जाने के लिए बेकरार थे। तभी उनकी पत्नी ने उन्हें देश से बाहर जाने के बजाय भारत में साइकिल टूर करने की सलाह दी। उनके दोनों बेटे और पत्नी भी यात्रा के बेहद शौक़ीन हैं। उन्होंने बताया कि उनका बड़ा बेटा जर्मनी में रहता है और अक्सर साइकिलिंग करता है।
इस साल की शुरुआत में जब कोरोना महामारी के बाद सबकुछ सामान्य होने लगा, तो फिरोज़ निकल पड़े भारत यात्रा पर। अपनी यात्रा के दौरान, वह देश के अलग-अलग राज्यों का अनुभव शेयर करते हैं। उन्होंने गुजरात के बारे में बताया, “मैंने अब तक गुजरात में साइकिल से 4700 किमी की यात्रा पूरी की है। मैंने इस राज्य का हर एक कोना देख लिया है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब मैं कच्छ के गांव में रुका था, तब वहां के लोग मेरे खाने-पीने का पूरा ध्यान रखते थे।”
वह एक दिन में कभी 10 किमी तो कभी 50 किमी की साइकिलिंग करते हैं। अपनी इस यात्रा में अबतक उन्होंने एक दिन में अधिकतम 116 किमी साइकिलिंग की है।
साइकिल पर बसाया पूरा घर
फिरोज की यह साइकिल यात्रा पूरी तरह से सस्टेनेबल और मिनिमल भी है। उन्होंने इसी साइकिल में अपना पूरा घर बसा लिया है। वह केवल तीन बैग लेकर यात्रा कर रहे हैं। एक बैग में उनका वॉटरप्रूफ टेंट, स्लीपिंग बैग और स्लीपिंग पैड है। वहीं उनके दूसरे बैग में ठंड और बारिश के मौसम के कपड़े हैं। तीसरे बैग में रसोई का सामान है। उनके पास एक छोटा गैस सिलिंडर है। इसके अलावा दो छोटे बर्तन भी लेकर वह यात्रा करते हैं।
फिरोज़ कहते हैं, “मुझे खुले आसमान के नीचे सोना बेहद पसंद है। टेंट का इस्तेमाल भी मैं मौसम के अनुसार करता हूं। ढाबे में सादा खाना और मेरी खुद की बनाई खिचड़ी मेरा नियमित भोजन है। इस तरह की यात्रा में आप ज्यादा आराम की उम्मीद नहीं कर सकते और यकीन मानिए यही सच्चा आनंद भी है।”
हालांकि बाहर सोने की अपनी चुनौतियां भी होती हैं, लेकिन वह कहते हैं कि आस-पास के लोग उन्हें सही जगह का चुनाव करने में मदद करते हैं। इसके अलावा उनके पास एक एक्शन कैमरा, एक डिजिटल कैमरा और फ़ोन भी है, जिसे वह सोलर बैटरी से चार्ज करते हैं। फिरोज के साइकिल के पिछले हिस्से में बैटरी चार्ज करने के लिए सोलर पैनल लगा है। बारिश के दिनों में जब बैटरी चार्ज नहीं हो पाती, तब वह किसी ढाबे में रुककर फोन चार्ज कर लेते हैं।
यात्रा से जुड़ी यादें
फिरोज़ अपनी विदेश और भारत की यात्रा में अंतर बताते हुए कहते हैं कि विदेश में शाकाहारी भोजन मिलने में बेहद दिक्कत आती थी। तब से ही उन्होंने अपनी साइकिल में गैस और रसोई का सामान रखना शुरू किया था। लेकिन विदेश में अच्छी बात यह थी कि वहां प्रदूषण कम होने के कारण साइकिलिंग में आनंद आता था। जबकि भारत में इसका बिल्कुल उल्टा है, यहां भोजन की दिक्कl तो कही नहीं आती, लेकिन धूल और प्रदूषण बहुत मिलता है।
फिरोज कहते हैं, “धूल और प्रदूषण भारत की समस्या जरूर है, लेकिन अगर मैं इन चीजों की शिकायत करूं तो यात्रा का मज़ा नहीं ले पाऊंगा। इसलिए मैं ज्यादा शिकायत नहीं करता और हर परिस्थिति में आनंद खोजता हूं।” उन्होंने गुजरात में एशिया के मशहूर अलंग शिपयार्ड को देखा, जहां जहाजों को तोड़ने का काम किया जाता है। वहीं जूनागढ़ में उन्हें मिनी कुम्भ मेले के दर्शन का मौका मिला। अब तक इस यात्रा के दौरान उन्होंने कच्छ के हर कोने के साथ गिर सोमनाथ की यात्रा का आंनद भी उठाया है। फिलहाल वह राजस्थान की यात्रा कर रहे हैं।
कम से कम चीजों के साथ भी जी सकते हैं खुशहाल जीवन
फिरोज़, साइकिल से यात्रा के लाभ के बारे में कहते हैं, “कार से सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करने के बाद भी आपको बाहरी दुनिया की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। वहीं साइकिलिंग करते हुए हमें अलग-अलग लोग और स्थानीय संस्कृति को समझने का मौका मिलता है। साइकिलिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि 55 की उम्र में भी खुद को युवा महसूस करता हूं।”
हालांकि उन्हें कभी-कभी पैरों में तकलीफ भी होती है, लेकिन वह अपने शरीर का पूरा-पूरा ध्यान रखते हुए यात्रा करते हैं। किसी एक जगह पर वह पूरी तरह से आराम करने के बाद ही दूसरे शहर के लिए निकलते हैं।
अंत में फिरोज कहते हैं, “साइकिलिंग एक ऐसी आदत है, जिससे आपको महसूस होगा कि कैसे कम से कम चीजों के साथ भी आप एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं। मैं हर किसी से यही कहना चाहूंगा कि साइकिल को अपने रोजमर्रा के जीवन में शामिल करें। यह आपके हेल्थ के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।”
संपादन- जी एन झा
यह भी पढ़ें: पैसे नहीं तो क्या? जज़्बा तो है! स्कूटी से की हैदराबाद से लद्दाख तक की सैर
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: