नौकरी छोड़ शुरू किया पशु-आहार व्यवसाय, मिला लाखों का मुनाफ़ा और गाँववालों को रोज़गार

मध्य प्रदेश के इन गाँवों में पशु तो बहुत थे, लेकिन पशु-आहार बनानेवाला कोई नहीं। ऐसे में , विपिन को यह व्यवसाय करने की सूझी, जिससे अब वह हर महीने लाखों का कारोबार करते हैं।

आज के आर्थिक हालातों को देखते हुए किसान होना आसान नहीं है, शायद यही कारण है कि देश के युवाओं का रुझान खेती के प्रति दिनोंदिन कम होता जा रहा है। लेकिन, मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के क्वखेड़ा गाँव के रहने वाले 26 वर्षीय विपिन दाँगी का इरादा ही कुछ और है।

विपिन ने इंदौर स्थित पीएमबी गुजराती कॉलेज से माइक्रोबॉयोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है और वह कॉलेज के दिनों से ही शहर के एक अस्पताल में बतौर क्लिनिक सुपरवाइजर का काम कर रहे थे, लेकिन कॉलेज के अंतिम दिनों में उन्होंने नौकरी छोड़ कुछ ऐसा करने का फैसला किया, जिससे उनके साथ-साथ गाँव के किसानों को भी कुछ लाभ हो।

इसी के तहत उन्होंने अपने गाँव में एक पशु आहार बनाने की इकाई को स्थापित किया, जिससे न केवल उन्हें हर महीने हजारों की कमाई हो रही है, बल्कि 4-5 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। 

Madhya Pradesh Man Left Job Started Animal Food Business
विपिन दाँगी

कैसे हुई शुरूआत

इसके बारे में वह बताते हैं, “मैं एक किसान परिवार से हूँ और मेरा खेती-किसानी से बेहद लगाव रहा है। मैं इसी क्षेत्र में कुछ करना चाहता था, लेकिन आज खेती काफी मुश्किल है, इसलिए इससे संबंधित नए तकनीकों को सीखने के लिए मैंने अक्टूबर 2017 में इंदौर स्थित एमएसएमई विकास संस्थान में 15 दिनों के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया।”

वह आगे बताते हैं, “यहाँ से ट्रेनिंग लेने के बाद मैंने दूध का कारोबार करने का फैसला किया। इसके बाद उधार लेकर, मैंने 4 लाख रुपए की लागत से अप्रैल, 2018 में “शिवकारी मिल्क” नाम से अपनी कंपनी शुरू की, इसके तहत हम अपने गाँव से दूध खरीद कर उसे बिना प्रोसेस किए आस-पास के शहरों में बेचने लगे, लेकिन हमें इसमें लागत काफी आ रही थी। इस तरह, महज छह महीने में ही हमारा यह कारोबार बंद हो गया और कुल 2.5 लाख रुपए का नुकसान हुआ।”

लेकिन, इस विफलता से विपिन विचलित नहीं हुए। उन्होंने बाजार को समझने के लिए एक नए सिरे से सोचना शुरू किया और लगभग छह महीने तक, आस-पास के क्षेत्रों का गहन शोध करने के बाद उन्होंने देखा कि क्षेत्र में पशुपालन तो अच्छे पैमाने पर हो रहा है, लेकिन यहाँ कोई पशु आहार बनाने वाली कंपनी नहीं है।

इसके बाद विपिन ने अपने गाँव में ही, सितंबर 2019 में 6 लाख रुपए की लागत से ‘शिवकारी फीड’ नाम से अपनी पशु आहार बनाने वाली इकाई को स्थापित किया। उन्हें इस लागत को चुकाने के लिए अपनी जमीन तक को गिरवी रखनी पड़ी।

शुरूआत में वह हर महीने 30-45 टन पशु आहार बनाते थे, जिससे उन्हें 12-15 हजार का लाभ होता था। लेकिन, आज वह हर महीने 20 लाख रुपए से अधिक का कारोबार करते हैं, जिससे उन्हें 45 हजार से अधिक की बचत होती है।

Madhya Pradesh Man Left Job Started Animal Food Business



इसके बारे में विपिन बताते हैं, “हमारे यूनिट में हर दिन 4-5 टन पशु आहार का निर्माण होता है। एक टन पशु आहार को बनाने में लगभग 17 हजार रुपए खर्च होते हैं, जिसे हम 18 हजार रुपए की दर पर बेचते हैं। इस तरह हर महीने 20 लाख रुपए से अधिक का कारोबार होता है, जिसमें व्यक्तिगत तौर पर, सिर्फ मुझे लगभग 45 हजार रुपए से अधिक की बचत होती है।”

कैसे बनाते हैं पशु आहार

विपिन बताते हैं कि पशु आहार को बनाने के लिए कपास, मूंगफली, सोयाबीन, सरसों आदि की खली और मक्का, जौ, गेहूँ जैसे अनाजों के साथ-साथ दाल के छिलकों की जरूरत पड़ती है। क्योंकि इसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होती है। इसे निश्चित अनुपात में मिलाने के बाद, इसमें कैल्सियम, फॉस्फोरस, आयोडीन, कॉपर, कोबाल्ट, आदि जैसे खनिज तत्वों को मिलाया जाता है।

Animal Food Business

इसे ग्राइंडर में पीसने के बाद मिक्सर में डाला जाता है, फिर पशु आहार को एक निश्चित आकार देने के लिए इसे एक फ्रेम के जरिए प्रोसेस किया जाता है। इस प्रक्रिया में हमेशा 4-5 लोगों की जरूरत होती है।

विपिन बताते हैं, “मैं पशु आहार बनाने के लिए अनाजों की पूर्ति गाँव के किसानों से खरीद कर करता हूँ, जबकि खलियों को स्थानीय तेल फैक्ट्रियों से मँगाया जाता है।”

3000 से अधिक ग्राहक

विपिन ने अपने उत्पाद को बेचने के लिए शुरूआत में खुद ही दुकान खोल दी। धीरे-धीरे किसानों को उनका पशु आहार पसंद आने लगा। आज उनके 3 हजार से अधिक ग्राहक हैं।

इसे लेकर वह कहते हैं, “आज हमारे आस-पास के 4-5 शहरों जैसे खिलचीपुर, जीरापुर, बयाना आदि में 3000 से अधिक ग्राहक हैं। ग्राहकों तक अपने उत्पाद की पूर्ति हम स्थानीय दुकानदारों के जरिए करते हैं। जल्द ही हमारा इरादा राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में अपने कारोबार को बढ़ाने का है।”

कैसे करते हैं मार्केटिंग

Animal Food Business

विपिन अपनी मार्केटिंग योजनाओं को लेकर कहते हैं, “किसानों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ने के लिए मैं ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित करता हूँ, जहाँ बड़े पैमाने पर पशुपालन होता है और जहाँ पहली बार हमारा उत्पाद जा रहा है। इसके बाद मैं किसानों को पशुपालन के लिए अच्छे नस्ल की पशु के साथ-साथ इसके स्वास्थ्य और बेहतर पशु आहार के महत्व के बारे में जानकारी देने के लिए ट्रेनिंग सेशन का आयोजन करता हूँ।”

वह आगे बताते हैं, “मैं अपने डेयरी प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हर हफ्ते 2-3 दिन किसानों को ट्रेनिंग देता हूँ। धीरे-धीरे किसानों का भरोसा इतना बढ़ गया है कि पशुओं की तबियत खराब होने पर भी मुझसे संपर्क करते हैं और मैं अपने कुछ पशु चिकित्सक दोस्तों के जरिए उनकी मदद भी करता हूँ, जिससे मुझे काफी खुशी होती है।”

विपिन से संपर्क करने के लिए आप उन्हें 09179025123 पर फोन कर सकते हैं।

आज के आर्थिक हालातों को देखते हुए किसान होना आसान नहीं है, शायद यही कारण है कि देश के युवाओं का रुझान खेती के प्रति दिनोंदिन कम होता जा रहा है। लेकिन, मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के क्वखेड़ा गाँव के रहने वाले 26 वर्षीय विपिन दाँगी का इरादा ही कुछ और है।

विपिन ने इंदौर स्थित पीएमबी गुजराती कॉलेज से माइक्रोबॉयोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है और वह कॉलेज के दिनों से ही शहर के एक अस्पताल में बतौर क्लिनिक सुपरवाइजर का काम कर रहे थे, लेकिन कॉलेज के अंतिम दिनों में उन्होंने नौकरी छोड़ कुछ ऐसा करने का फैसला किया, जिससे उनके साथ-साथ गाँव के किसानों को भी कुछ लाभ हो।

इसी के तहत उन्होंने अपने गाँव में एक पशु आहार बनाने की इकाई को स्थापित किया, जिससे न केवल उन्हें हर महीने हजारों की कमाई हो रही है, बल्कि 4-5 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। 

Madhya Pradesh Man Left Job Started Animal Food Business

कैसे हुई शुरूआत

इसके बारे में वह बताते हैं, “मैं एक किसान परिवार से हूँ और मेरा खेती-किसानी से बेहद लगाव रहा है। मैं इसी क्षेत्र में कुछ करना चाहता था, लेकिन आज खेती काफी मुश्किल है, इसलिए इससे संबंधित नए तकनीकों को सीखने के लिए मैंने अक्टूबर 2017 में इंदौर स्थित एमएसएमई विकास संस्थान में 15 दिनों के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया।”

वह आगे बताते हैं, “यहाँ से ट्रेनिंग लेने के बाद मैंने दूध का कारोबार करने का फैसला किया। इसके बाद उधार लेकर, मैंने 4 लाख रुपए की लागत से अप्रैल, 2018 में “शिवकारी मिल्क” नाम से अपनी कंपनी शुरू की, इसके तहत हम अपने गाँव से दूध खरीद कर उसे बिना प्रोसेस किए आस-पास के शहरों में बेचने लगे, लेकिन हमें इसमें लागत काफी आ रही थी। इस तरह, महज छह महीने में ही हमारा यह कारोबार बंद हो गया और कुल 2.5 लाख रुपए का नुकसान हुआ।”

लेकिन, इस विफलता से विपिन विचलित नहीं हुए। उन्होंने बाजार को समझने के लिए एक नए सिरे से सोचना शुरू किया और लगभग छह महीने तक, आस-पास के क्षेत्रों का गहन शोध करने के बाद उन्होंने देखा कि क्षेत्र में पशुपालन तो अच्छे पैमाने पर हो रहा है, लेकिन यहाँ कोई पशु आहार बनाने वाली कंपनी नहीं है।

इसके बाद विपिन ने अपने गाँव में ही, सितंबर 2019 में 6 लाख रुपए की लागत से ‘शिवकारी फीड’ नाम से अपनी पशु आहार बनाने वाली इकाई को स्थापित किया। उन्हें इस लागत को चुकाने के लिए अपनी जमीन तक को गिरवी रखनी पड़ी।

शुरूआत में वह हर महीने 30-45 टन पशु आहार बनाते थे, जिससे उन्हें 12-15 हजार का लाभ होता था। लेकिन, आज वह हर महीने 20 लाख रुपए से अधिक का कारोबार करते हैं, जिससे उन्हें 45 हजार से अधिक की बचत होती है।

Madhya Pradesh Man Left Job Started Animal Food Business



इसके बारे में विपिन बताते हैं, “हमारे यूनिट में हर दिन 4-5 टन पशु आहार का निर्माण होता है। एक टन पशु आहार को बनाने में लगभग 17 हजार रुपए खर्च होते हैं, जिसे हम 18 हजार रुपए की दर पर बेचते हैं। इस तरह हर महीने 20 लाख रुपए से अधिक का कारोबार होता है, जिसमें व्यक्तिगत तौर पर, सिर्फ मुझे लगभग 45 हजार रुपए से अधिक की बचत होती है।”

कैसे बनाते हैं पशु आहार

विपिन बताते हैं कि पशु आहार को बनाने के लिए कपास, मूंगफली, सोयाबीन, सरसों आदि की खली और मक्का, जौ, गेहूँ जैसे अनाजों के साथ-साथ दाल के छिलकों की जरूरत पड़ती है। क्योंकि इसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होती है। इसे निश्चित अनुपात में मिलाने के बाद, इसमें कैल्सियम, फॉस्फोरस, आयोडीन, कॉपर, कोबाल्ट, आदि जैसे खनिज तत्वों को मिलाया जाता है।

Animal Food Business

इसे ग्राइंडर में पीसने के बाद मिक्सर में डाला जाता है, फिर पशु आहार को एक निश्चित आकार देने के लिए इसे एक फ्रेम के जरिए प्रोसेस किया जाता है। इस प्रक्रिया में हमेशा 4-5 लोगों की जरूरत होती है।

विपिन बताते हैं, “मैं पशु आहार बनाने के लिए अनाजों की पूर्ति गाँव के किसानों से खरीद कर करता हूँ, जबकि खलियों को स्थानीय तेल फैक्ट्रियों से मँगाया जाता है।”

3000 से अधिक ग्राहक

विपिन ने अपने उत्पाद को बेचने के लिए शुरूआत में खुद ही दुकान खोल दी। धीरे-धीरे किसानों को उनका पशु आहार पसंद आने लगा। आज उनके 3 हजार से अधिक ग्राहक हैं।

इसे लेकर वह कहते हैं, “आज हमारे आस-पास के 4-5 शहरों जैसे खिलचीपुर, जीरापुर, बयाना आदि में 3000 से अधिक ग्राहक हैं। ग्राहकों तक अपने उत्पाद की पूर्ति हम स्थानीय दुकानदारों के जरिए करते हैं। जल्द ही हमारा इरादा राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में अपने कारोबार को बढ़ाने का है।”

Animal Food Business

कैसे करते हैं मार्केटिंग


विपिन अपनी मार्केटिंग योजनाओं को लेकर कहते हैं, “किसानों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ने के लिए मैं ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित करता हूँ, जहाँ बड़े पैमाने पर पशुपालन होता है और जहाँ पहली बार हमारा उत्पाद जा रहा है। इसके बाद मैं किसानों को पशुपालन के लिए अच्छे नस्ल की पशु के साथ-साथ इसके स्वास्थ्य और बेहतर पशु आहार के महत्व के बारे में जानकारी देने के लिए ट्रेनिंग सेशन का आयोजन करता हूँ।”

वह आगे बताते हैं, “मैं अपने डेयरी प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हर हफ्ते 2-3 दिन किसानों को ट्रेनिंग देता हूँ। धीरे-धीरे किसानों का भरोसा इतना बढ़ गया है कि पशुओं की तबियत खराब होने पर भी मुझसे संपर्क करते हैं और मैं अपने कुछ पशु चिकित्सक दोस्तों के जरिए उनकी मदद भी करता हूँ, जिससे मुझे काफी खुशी होती है।”

विपिन दाँगी से बात करने के लिए आप उन्हें 9179025123 पर संपर्क कर सकते हैं।

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