देश में आज़ादी के मायने कई तरीके से निकाले जाते हैं। अपनी पसंद की भाषा से लेकर धर्म और विचारों की आज़ादी के बीच, जिस आज़ादी की आज सबसे ज्यादा ज़रूरत है, वह है फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस यानी आर्थिक आज़ादी। बच्चों को पढ़ाई के बाद ही अपने पैरों पर खड़ा होने की सलाह दे जाती है और उन्हें अच्छी नौकरी मिलते ही अपने बुजुर्ग माता-पिता का ख्याल रखने की भी।
लेकिन अपने बच्चों या किसी पर भी आधारित न होते हुए कई बुजुर्ग सारी उम्र आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर ही रहते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं, जिनकी कोई नौकरी भले न हो, लेकिन वह अपने हुनर के दम पर अपनी पहचान बनाकर आत्मनिर्भर बनते हैं और कौन कहता है कि अपने आप को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने या खुद की पहचान बनाने की कोई उम्र होती है।
आज हम आपको ऐसे पांच बुजुर्गों से मिला रहे हैं, जिन्होंने जीवन की आधी उम्र बीत जाने के बाद एक नई पारी की शुरुआत की और आज आर्थिक रूप से बिल्कुल आज़ाद होकर जी रहे हैं।
1. नागपुर की ‘डोसा आज्जी’
कभी गरीबी और निजी जीवन की दिक्कतों का सामना करनेवाली 62 वर्षीया शारदा चौरगड़े यानी नागपुर की डोसा आज्जी ने साल 2004 में अपने और अपने बेटे का खर्च उठाने के लिए एक छोटा सा फ़ूड स्टॉल शुरू किया था, जिसमें वह मात्र दो रुपये में इडली और डोसा देती थीं।
लोगों ने उन्हें समझाया कि इतने कम पैसे में खाना बेचकर कैसे घर चलेगा? लेकिन आज्जी हर बार कहतीं, “मुझे भूख का मतलब पता है, इसलिए मैं उन गरीब मजदूर लोगों के बच्चों और आम आदमी के लिए काम कर रही हूँ, जिनके पास दो वक़्त के खाने के पैसे भी नहीं हैं।”
इसी तरह काम करके उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाया, बड़ा किया और खुद आज फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस की मिसाल भी बन गई हैं। लेकिन आज भी वह इस काम से रिटायर नहीं हुई हैं, बल्कि आज भी वह हर दिन अपने फ़ूड स्टॉल में खाना बनाती हैं। डोसा आज्जी नाम से मशहूर शारदा का जीवन आज भी किसी परीक्षा से कम नहीं है। लेकिन अपने स्टॉल से आज वह महीने के 10 हजार रुपये कमाती हैं।
2. लक्ष्मी पटेल हैं फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस का बेहतरीन उदाहरण
नवसारी के आट गांव की 61 वर्षीया लक्ष्मी पटेल, पिछले कई सालों से खेती कर रही हैं। आज वह ऑर्गेनिक तरीकों का इस्तेमाल करके, सालाना 15 लाख का मुनाफा कमा रही हैं। लक्ष्मी के पति दुबई में काम करते थे और वह अपने ससुराल में अपने सास-ससुर का खेती में हाथ बटाती थीं।
लेकिन जब उन्होंने देखा कि पारम्परिक खेती में कोई ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा, तब उन्होंने नवसारी कृषि यूनिवर्सिटी से संपर्क करके कई तरह की ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया। लक्ष्मी कहती हैं, “पारिवारिक खेती में मैं ज्यादा प्रयोग नहीं कर सकती थी, इसलिए मैंने खुद की ज़मीन खरीदकर खेती शुरू की।”
उन्होंने 51 साल की उम्र में ज़मीन खरीदी और आम की खेती शुरू की। आज वह अपने गांव में सबसे ज्यादा कमाने वाली महिला किसान हैं। आज कई लोग उनके पास खेती की ट्रेनिंग के लिए आते हैं। 61 की उम्र में भी वह दिन रात खेतों में काम करती हैं और इसे अपने अच्छे स्वास्थ्य का कारण बताती हैं। सबसे अच्छी बात तो यह है कि वह इस उम्र में भी आर्थिक रूप से आज़ाद और आत्मनिर्भर हैं।
3. पद्मावती नायर
साल 1920 में जन्मीं पद्मावती की उम्र ने 100 का आंकड़ा पर कर दिया है। लेकिन इस उम्र में भी वह एक बिज़नेस चला रही हैं। वह साड़ियों पर हाथ से पेंटिंग करती हैं और उन्हें अपने काम से बहुत प्यार है। उनका कहना है, “व्यस्त रहो और दूसरों की ज़िंदगी में दखल अंदाज़ी मत करो।”
हालांकि, उन्होंने इस काम की शुरुआत 60 की उम्र पार करने के बाद की है। उन्हें अपनी पहली कमाई के बारे में ज्यादा याद नहीं, लेकिन उनका कहना है कि वह शायद 60 की उम्र से ऊपर थीं, जब उन्हें पहली कमाई मिली थी।
वह एक साड़ी तैयार करने के लिए 11 हजार रुपये लेती हैं, जिसमें साड़ी की कीमत भी शामिल है और दुपट्टे के लिए 3,000 रुपये, जिसे तैयार करने में उन्हें एक महीने से ज्यादा का समय लगता है।
अपनी कमाई के पैसे वह अपने नाती-पोते पर खर्च करती हैं। हालांकि, अब वह अपनी मर्जी से ही काम करती हैं और ज्यादा ऑर्डर्स भी नहीं लेतीं, लेकिन 100 साल तक भी फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस के साथ जीवन जीना, अपने आप में एक प्रेरणा है।
4. नागमणि आंटी पेश कर रहीं फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस की मिसाल
88 की उम्र में बेंगलुरु की नागमणि Roots & Shoots नाम से हर्बल ऑयल का बिज़नेस चला रही हैं। 150 साल पुराने तेल बनाने के नुस्खे से वह दोस्तों और रिश्तेदारों में तो मशहूर थीं ही, लेकिन 60 की उम्र में उन्होंने इसे एक बिज़नेस बनाने के बारे में सोचा। अपनी बड़ी बेटी और अपने पति के निधन के बाद इसी काम ने उन्हें हिम्मत दिलाई।
आज वह अपनी छोटी बेटी के साथ मिलकर हर्बल तेल बना रही हैं। इसके ज़रिए वह खुद तो आत्मनिर्भर हैं ही साथ ही दो और लोगों को रोज़गार भी दिया है। नागमणि आंटी इस उम्र में भी पूरी शिद्दत से काम करती हैं, वह चाहती हैं कि उनका नुस्खा कई और लोगों तक पहुंचे। अपने आप को आर्थिक रूप से निर्भर बनाने के लिए उनका काम हम सभी के लिए प्रेरणा है।
5. हरभजन कौर
हरभजन 90 की रही होंगी, जब एक रोज़ उनकी बेटी ने यूं ही उनके दिल का हाल जानने के लिए पूछ लिया – “कोई मलाल तो नहीं है न आपको, कोई चाहत तो बाकी नहीं, कहीं आने-जाने या कुछ करने-देखने की इच्छा बाकी हो तो बताओ।”
जैसे वह इस सवाल का इंतज़ार ही कर रही थीं। उन्होंने झट से कहा, “बस, एक ही मलाल है … मैंने इतनी लंबी उम्र गुज़ार दी और एक पैसा भी नहीं कमाया।” फिर क्या था, बेटी की मदद से उन्होंने जीवन के इस मोड़ पर एक नए बिज़नेस की शुरुआत कर दी।
उनके बेसन की बर्फी लोगों को इतनी पसंद आई कि वह देखते ही देखते चंडीगढ़ में मशहूर हो गईं। 90 की उम्र में कमाई करके उन्हें आर्थिक आजादी का जो सुख मिला होगा, उसे तो वह खुद भी बयां नहीं कर सकतीं। आज उनके प्रोडक्ट्स सोशल मीडिया से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स तक, हर जगह मिलते हैं।
इन बुजुर्गों के जज्बे ने न सिर्फ इन्हें आर्थिक रूप से आजाद बनाया है, बल्कि वे औरों के लिए भी फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस की मिसाल हैं। आजादी के 75वें साल में द बेटर इंडिया इन सभी बुजुर्गों को दिल से सलाम करता है।
संपादनः अर्चना दुबे
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