अपनी सूझ-बूझ से शिमला की एक गृहणी ने बचाई असम रायफल्स के एक घायल जवान की जान !

अपनी सूझबूझ और तत्परता से शिमला की एक महिला वीणा शर्मा ने असम रायफल्स के एक जवान को उस समय मौत के मुँह में जाने से बचाया जिस समय बाकी जवान एकदम असहाय महसूस कर रहे थे।

पनी सूझबूझ और तत्परता से शिमला की एक महिला वीणा शर्मा ने असम रायफल्स के एक जवान को उस समय मौत के मुँह में जाने से बचाया जिस समय बाकी जवान एकदम असहाय महसूस कर रहे थे।

20 अगस्त को असम रायफल्स आर्मी के जवान मुकेश कुमार अपनी टुकड़ी के साथ रोज़ाना की तरह ही दौड़ के प्रशिक्षण पर निकले थे कि अचानक कुछ आवारा कुत्ते उनके पीछे पड़ गए।

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कुत्तों से बच कर भागने की कोशिश में मुकेश का पैर एक 50 फ़ीट गहरे गड्ढे में चला गया , वहां उनका सिर एक पत्थर से टकरा गया और वो बेहोश हो गये।
मुकेश के साथियों को लगा कि वो मर चुके है और उन्होंने मदद के लिये लोगों को आवाज़ दी। उनकी आवाज़ सुनते ही वहीं से गुज़र रही वीणा शर्मा उनकी मदद के लिए आगे आई। उन्होंने मुकेश को तुरंत मुँह से साँस देना शुरू किया ताकि उन्हें होश आ जाये।

वीणा ने महसूस किया कि मुकेश को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की ज़रूरत है।
वीणा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “ घायल को अस्पताल ले जाने का कोई दूसरा तरीका नहीं समझ आ रहा था, इसलिए मैंने अपने 72 वर्षीय पिता, श्री रमेश शर्मा को बुलाया जो कि इन दिनों बिल्कुल भी कार नहीं चलाते हैं। पर क्यों कि कोई भी जवान कार चलाना नहीं जानता था, इसलिए मेरे पिता को ही घायल जवान को जुटोघ् मिलिट्री अस्पताल ले कर जाना पड़ा।“

वहां डॉक्टरों ने उन्हें इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ले जाने को कहा ताकि उन्हें और भी बेहतर इलाज मिल सके।

असम रायफल्स के कमांडिंग ऑफिसर ने इस साहसी महिला को उसके असाधारण काम के लिए प्रशस्ति पत्र दिया है।
मूल लेख -निशि मल्होत्रा ।

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