23 वर्षीय अमर लाल कभी भी वकील बनने का अपना सपना पूरा नहीं कर पाते यदि नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी न होते। आज अमर लाल नोएडा में कानून की पढ़ाई कर रहे हैं।
बाल मज़दूरी के शिकार, अमर को पाँच साल की उम्र में सत्यार्थी के बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के ज़रिये बचाया गया था। तब से उनके जीवन में लगातार बदलाव आया है।
“जब भाईसाहब जी (कैलाश सत्यार्थी) ने मुझे देखा तो मैं एक टेलीफोन पोल को ठीक करने के लिए काम कर रहा था। मैं पाँच साल का था जब मुझे बचपन बचाओ आंदोलन ने छुड़वाया था। मैं एक वकील बनकर समाज की भलाई के लिए अपना योगदान देना चाहता हूँ,” अमर ने डेक्कन हेराल्ड को बताया।
सत्यार्थी ने जिन भी बच्चों का जीवन संवारा है, वे सब उन्हें प्यार से ‘भाईसाहब जी’ बुलाते हैं। सत्यार्थी ने हाल ही में बहुत गर्व के साथ अमर के बारे में सोशल मीडिया पर साझा किया।
उन्होंने ट्वीट किया, ”आज, मेरा बेटा अमर लाल एक 17 साल की रेप सर्वाइवर के लिए अदालत में खड़ा हुआ। इस युवा वकील के माता-पिता के रूप में यह हमारे लिए गर्व का क्षण है, जिसे हमने 5 साल की उम्र में बाल मज़दूरी से बचाया था। अपनी पढ़ाई पूरी करने तक अमर बाल आश्रम में रहा। अभी और आगे जाना है।”
Today, my son Amar Lal stood in the court for a 17 yrs old rape survivor. It is our proudest moment as parents of this bright young lawyer who we rescued from inter-generational slavery at the age of 5. He stayed at Bal Ashram until he completed his education. Way to go! pic.twitter.com/qLwO4C40HW
— Kailash Satyarthi (@k_satyarthi) December 21, 2018
अमर अपने परिवार से पहले सदस्य है, जो पढ़-लिख कर यहाँ तक पहुंचे है।
उन्होंने बताया, “हम बंजारा समुदाय से आते हैं। हमेशा एक जगह से दूसरी जगह पर पलायन करते रहने की वजह से हमें कभी भी स्कूल जाने का मौका नहीं मिल पाता है।”
अमर वास्तविक तौर पर राजस्थान से हैं। वकालत की डिग्री हासिल कर, अमर रेप पीड़ितों के लिए लड़ना चाहते हैं।
ऐसी ही एक कहानी किंसु कुमार की है, जिसे बीबीए ने आठ साल की उम्र में दिसंबर 2003 में बचाया था। किंसु अब राजस्थान में बी.टेक के छात्र हैं और एक दिन आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखते हैं। किंसु कभी मिर्ज़ापुर (उत्तर प्रदेश) में गाड़ियों को धोने का काम करते थे। उन्हें भी दूसरों की तरह बाल मज़दूरी का शिकार होने से बचाया गया था।
2016 में ‘सेव द चिल्ड्रन’ द्वारा किये गये सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग 380.7 लाख़ लड़के और 80.8 लाख़ लड़कियाँ बाल मज़दूरी के शिकार हैं। लेकिन इसके खिलाफ़ एक मुहीम छेड़ते हुए, सत्यार्थी के बचपन बचाओ आंदोलन ने 87,000 से भी अधिक बच्चों को विभिन्न तरीके के उत्पीड़न और शोषण से मुक्त करवाया है।
संपादन – मानबी कटोच
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