Placeholder canvas

इन 10 प्रशासनिक अधिकारीयों ने अपने क्षेत्रों में किये कुछ ऐसे पहल, जिनसे मिली विकास की राह!

द बेटर इंडिया हर साल ऐसे 10 प्रशासनिक अधिकारियों (किसी विशेष क्रम में नहीं) के प्रयासों के बारे में पाठकों को बताता है, जिनकी वजह से कई जगह बदलाव आया है। यही अधिकारी हमें आशा की किरण देते हैं कि कुछ अच्छे अफसर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं!

प्र शासनिक अधिकारी – जिनका काम है हर दिन अपने निर्धारित शहर, गाँव या कस्बों में जाकर वहां के प्रशासनिक व्यवस्था को संभालना! नियमों का पालन, नागरिकों के सशक्तिकरण और आपके और मेरे जैसे लोगों के लिए एक बेहतर कल का निर्माण, यह सभी कुछ उनकी ड्यूटी का हिस्सा हैं।

यह एक कड़ी ज़िम्मेदारी है और वह भी ऐसे समाज में, जहाँ राजनीति और व्यापार में भ्रष्टाचार की कोई कमी न हो। लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे ही सही लेकिन प्रशासन व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है। और यह संभव हो रहा है देश के उन कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार अफ़सरों के चलते, जो खुद को पूरी तरह से देश और देशवासियों की सेवा के लिए समर्पित करते हैं।

यही कारण है कि द बेटर इंडिया हर साल ऐसे 10 प्रशासनिक अधिकारियों (किसी विशेष क्रम में नहीं) के प्रयासों के बारे में अपने पाठकों को बताता है, जिनकी वजह से देश में कई जगह बदलाव आया है। यही अधिकारी हमें आशा की किरण देते हैं, कि कुछ अच्छे अफ़सरों के सच्चे प्रयास एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं!

1. हर्ष पोद्दार, आईपीएस

हर्ष पोद्दार

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और एक पूर्व वकील, हर्ष पोद्दार भारतीय सिविल सेवा में शामिल होने के लिए लंदन से वापिस आये थे। आज वे आईपीएस के तौर पर आम लोगों की सेवा कर रहे हैं। उनकी कई उम्दा पहलों के चलते, उन्हें हर जगह सराहा जा रहा है। इन्हीं पहलों में से एक है ‘यूथ पार्लियामेंट चैम्पियनशिप‘, जिसके अंतर्गत महाराष्ट्र के 18 जिलों में अपराध और आतंक के खिलाफ़ लगभग 2,00,000 युवा नेताओं को खड़ा किया गया है – इन क्षेत्रों की कुल आबादी ब्रिटेन के बराबर है।

वर्तमान में नागपुर के पुलिस उपायुक्त के पद पर नियुक्त हर्ष पोद्दार की कार्यवाहियों की वजह से मालेगांव में अवैध व्यापार और सांप्रदायिक दंगों को काफी हद तक कम किया जा चूका है। मालेगांव का इतिहास सांप्रदायिक हिंसा और बम विस्फोट की घटनाओं से भरा पड़ा है।

उन्होंने पुलिस स्टेशनों के प्रबंधन को भी सुव्यवस्थित किया है, जिससे उन्हें आईएसओ और ’स्मार्ट पुलिस’ सर्टिफिकेशन प्राप्त करने में मदद मिली है। इसके अलावा, उन्होंने ‘उड़ान’ प्रोजेक्ट लॉन्च किया है, जिसके तहत सैकड़ों स्थानीय छात्रों को मुफ्त कोचिंग और करियर परामर्श प्रदान किया जाता है।

हर्ष ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए कहा, “हम मालेगांव का इतिहास दंगों और बम विस्फोट के शहर से बदलकर कुछ सकारात्मक बनाना चाहते हैं।” जब उनसे पूछा गया कि उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरणा कहाँ से मिलती है, तो उन्होंने कहा, “एक अधिकारी होने का यह जो अवसर मेरे पास है, उससे – मैं अपनी इस नौकरी का शुक्रगुज़ार हूँ, जहाँ मुझे इतना कुछ सीखने को मिलता है।”

साल 2018 में अच्छे प्रशासन में उनके योगदान के लिए हर्ष को जीफाइल्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे सबसे कम उम्र के अधिकारी हैं। हर्ष पोद्दार वर्तमान में नागपुर में तैनात हैं और साल 2019 से वे शहर में क्राइम को एक व्यवस्थित ढंग से रोकने पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगें।

यह भी पढ़ें: मुंबई पुलिस का सराहनीय कार्य, 1500 की भीड़ से बचाई 2 वर्षीय बच्चे सहित पांच लोगों की जान!

2. निखिल निर्मल, आईएएस

निखिल निर्मल

पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के डीएम, आईएएस अफ़सर निखिल निर्मल की माने तो सिविल सर्विस का असल मकसद प्रशासन को ग़रीब और जरुरतमन्द लोगों के घर तक ले जाना होता है। शून्य लागत के साथ शुरू की गयी उनकी पहल, ‘आलोरण‘ के चलते पिछले तीन महीनों में 73 स्कूलों में 20,000 से अधिक छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है।

एर्नाकुलम (केरल में) के चाय बागानों के बीच पले-बढ़े, निखिल ने दोआर क्षेत्र में चाय बागानों के गरीब श्रमिकों के लिए एक सार्वजनिक जागरूकता और शिकायत निवारण पहल ‘आपनार बागाने प्रोशासन‘ की शुरुआत की है। इसके अलावा, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने ‘भ्रष्ट व्यवसायियों’ पर सुनियोजित कार्यवाही कर, उनके खिलाफ़ लोगों को जागरूक किया है।

अब स्थानीय लोगों को अपने डीएम से मिलने के लिए किसी अपॉइंटमेंट की ज़रूरत नहीं होती और न ही उन्हें दो-तीन दिन इंतजार करना पड़ता है। बल्कि, उनका डीएम खुद उनकी समस्याओं को हल करने के लिए उनके पास जाता है। और यही इस पहल का सबसे बड़ा प्रभाव है।

“मैं हमेशा से यही करना चाहता था, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि कतार में खड़े आख़िरी आदमी तक हर वह सुविधा पहुंचे, जिसकी उसे सबसे ज़्यादा ज़रूरत है,” निखिल ने द बेटर इंडिया को बताया।

साल 2019 में निखिल इस क्षेत्र के गरीब लोगों के लिए आलोरण के जैसे ही और भी ज़ीरो लागत की पहल शुरू करना चाहते हैं।

3. रेमा राजेश्वरी, आईपीएस

रेमा राजेश्वरी

तेलंगाना में गाँव के एक उजड़े हुए स्कूल की इमारत को सुधरवाना, स्कूल के बच्चों को शौचालय और पीने के साफ़ पानी की सुविधा और लगभग 1200 बच्चियों को बाल-विवाह से बचाना। आईपीएस अधिकारी रेमा राजेश्वरी ने अपने एक दशक के शानदार पुलिस करियर के दौरान ऐसी कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं।

हालांकि, यही सिर्फ़ एक कारण नहीं है, कि तेलंगाना की इस एस. पी. और मुन्नार जिले की पहली महिला आईएएस अफ़सर को पुलिस फ़ोर्स में इतना सम्मान मिलता है। आज के समय में जब व्हाट्सअप के ज़रिये चारों तरफ़ गलत और झूठी ख़बरें फ़ैल रहीं हैं, जिसके चलते देश में आये दिन दंगों और तनाव का माहौल रहता है। ऐसे में उन्होंने गाँव के स्तर पर पुलिस व्यवस्था को दुरुस्त करने और इन झूठी ख़बरों से लड़ने की मुहीम छेड़ी है।

उनकी मुहीम का काफ़ी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले 400 गांवों में अब तक कोई भी झूठी ख़बर से सम्बंधित हत्या नहीं हुई है।

“मेरा उद्देश्य उन लोगों के दिल में सुरक्षा की भावना पैदा करना है, जिनकी मुझ पर जिम्मेदारी है और यह सुनिश्चित करने के लिए हम पहले से ही ठोस कदम उठा रहे हैं,” रेमा ने द बेटर इंडिया को बताया।

फ़िलहाल, वे जोगुलंबा गडवाल जिले में एस. पी. के तौर पर नियुक्त हैं। आने वाले साल में उनका ध्यान बाल-विवाह और यौन उत्पीड़न जैसी सामाजिक कुरूतियों पर लगाम कसने की तरफ़ रहेगा।

4. बी रघु किरण, आईआरएस

बी. रघु किरण

जब केन्द्रीय सरकार ने बाकी सभी टैक्स हटाकर सिर्फ जीएसटी टैक्स (द गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लगाने का फ़ैसला किया, तो आम लोगों को इसे समझने में काफ़ी दिक्कत होने लगी। बहुत लोगों को पता ही नहीं था कि किन सेवाओं के लिए उन्हें टैक्स भरना है और किन के लिए नहीं। साथ ही, लोगों के मन में संदेह था कि उनके द्वारा भरा गया टैक्स वाकई में सरकार तक पहुंच रहा है या नहीं।

लोगों के इन सवालों को हल करने के लिए तेलंगाना सरकार में जीएसटी के संयुक्त आयुक्त, आईआरएस अधिकारी बी रघु किरण ने अपने सॉफ्टवेयर स्किल का अच्छा प्रयोग करते हुए एक एप्लीकेशन ‘जीएसटी-वेरीफाई’ बनाया। इसकी मदद से कोई भी कभी भी चेक कर सकता है कि जहाँ से भी उन्होंने खरीदारी की है, वह व्यवसायी टैक्स लेने के लिए अधिकारिक है या नहीं। इस एप्लीकेशन को बनाने के लिए रघु किरण ने अपनी जेब से पैसा खर्च किया और साथ ही उन्होंने अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद इसे बनाने के लिए अलग से समय दिया।

“जीएसटी का लाभ लोगों तक तभी पहुंच सकता है, जब वे धोखेबाज़ व्यापारियों से सुरक्षित हों, इसलिए मैंने उन्हें जानकारी देने के साथ-साथ सशक्त बनाने का फ़ैसला किया,” रघु ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए बताया।

2019 में बी रघु किरण जीएसटी कर से सम्बंधित अन्य पहलुओं को सुधारने और ठीक करने के लिए तकनीक का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं।

5. अतुल कुलकर्णी, आईपीएस

अतुल कुलकर्णी

अक्सर आम नागरिक पुलिस प्रशासन के पास जाने से कतराते हैं। लेकिन महाराष्ट्र के भायंदर ठाणे के एएसपी अतुल कुलकर्णी का मानना है कि यदि लोग पुलिस के पास आने से कतराते हैं, तो क्या पुलिस जरुरतमन्द लोगों के पास नहीं जा सकती? इसी सोच के साथ उन्होंने नशीली दवाओं के दुरुपयोग, यौन उत्पीड़न और घरेलू शोषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए समुदाय द्वारा संचालित पहल की शुरुआत की है।

इस पहल को ‘भरोसा सेल‘ का नाम दिया गया है और इसके तहत अतुल और उनकी टीम ने हर शनिवार को पीड़ित नागरिकों के लिए उनकी शिकायतों को सुनकर उनका निवारण करने के लिए बैठकें शुरू की हैं। पर उनकी सबसे उम्दा पहल है युवा लडकियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाना। इस अफ़सर ने लड़कियों के लिए स्कूलों में शिकायत बॉक्स और शहर में ‘निर्भया पाठक’ पेट्रोल वैन शुरू की हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) से पढ़ाई की और इसके साथ-साथ शहर की झुग्गी-झोपड़ियों से लेकर दूरदराज के गांवों में भी सामाजिक कार्यों से जुड़ा रहा। मैं हमेशा देखता था कि इन लोगों का जीवन कितना मुश्किल है और इसीलिए मैं बस सुनिश्चित करना चाहता था कि उन्हें वह न्याय मिले जिसके वे हकदार हैं।”

आने वाले साल में, अतुल कुलकर्णी ने महिला सुरक्षा बढ़ाने और जिले में स्मार्ट पुलिसिंग को सक्षम बनाने के लिए एक डिजिटल ऐप लॉन्च करने की योजना बनाई है।

6. हरी चंदना दसारी, आईएएस

हरी चंदना दसारी

साल 2018 में, ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) शहर भर में प्लास्टिक के पुनः उपयोग की पहल के माध्यम से ‘हरित क्रांति’ लाने में सफ़ल रहा और जिस महिला ने इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वह हैं जीएचएमसी (पश्चिम क्षेत्र) की ज़ोनल कमिश्नर हरी चंदना दसारी।

उनके प्रयासों की वजह से हैदराबाद में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। उन्होंने एक गंदे डंप यार्ड को भारत के पहले सर्टिफाइड डॉग पार्क में बदल दिया जिसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाया गया है!

“चाहे वह डॉग पार्क का निर्माण हो या फुटपाथ बनाने के लिए प्लास्टिक कचरे का उपयोग हो, इसके पीछे का विचार लोगों के शहरी परिदृश्य को देखने के नज़रिये को बदलना था। मैंने पर्यावरण अर्थशास्त्र में पढ़ाई की है और मेरा मानना है कि भारत का भविष्य इसके कचरा-प्रबन्धन और उसके पुनः उपयोग पर भी निर्भर करता है,” चंदना ने द बेटर इंडिया को बताया।

साल 2018 में सूखे कचरे से निपटने के बाद आने वाले साल में उनका उद्देश्य गीले कचरे के उचित प्रबन्धन पर रहेगा।

7. आशीष तिवारी, आईपीएस

आशीष तिवारी

उत्तर प्रदेश में बहुअर क्षेत्र के एक नक्सल प्रभावित गाँव में साल 2018 का ‘फादर्स डे’ एक बहुत ही प्यारा तोहफ़ा लेकर आया था- शिक्षा। दरअसल, मिर्जापुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, आईपीएस अधिकारी आशीष तिवारी ने गाँव के एक उजड़े स्कूल को गोद लिया और इसे सुधरवा कर एक चमकीले पीले रंग की स्कूल बस का रूप दिया।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब आशीष ने सामाजिक तौर पर कोई इनोवेशन किया है। इससे पहले भी वे पुलिसकर्मियों की तैनाती, छुट्टी-प्रबंधन, सामुदायिक पुलिसिंग और अन्य कार्यों को संभालने के लिए एक डिजिटल एप्लीकेशन बना चुके हैं। उन्होंने स्थानीय गांवों में महिलाओं की अनोखी ’हरी ब्रिगेड’ बनायीं हैं, जो न केवल घरेलू हिंसा और जुर्म के खिलाफ़ आवाज़ उठाती हैं, बल्कि नक्सल गतिविधियों पर भी नज़र रखती हैं।

आशीष ने द बेटर इंडिया को बताया, “तकनीक और सरल इनोवेशन पुलिस के काम को काफ़ी आसान और प्रभावी बना सकते हैं।” उनके द्वारा पुलिस कर्मियों द्वारा ली जाने वाली छुट्टियों का प्रबन्धन डिजिटल तौर पर किये जाने से सिस्टम में काफ़ी बदलाव आया है।

आने वाले साल में आशीष का पूरा ध्यान भ्रष्टाचार को हटा कर अच्छे प्रशासन की स्थापना पर रहेगा।

8. रेनू राज, आईएएस

रेनू राज

प्रभावशाली लोगों के अवैध खदानों पर छापा मारने से लेकर बेसहारा बुजुर्गों की देख-रेख करने तक, हर बार रेनू राज का नाम सुर्ख़ियों में रहा है। सभी नागरिकों के दिलों में अपने लिए सम्मानित जगह बना चुकी रेनू ने अवैध कब्जों पर भी नकेल कसी है और साथ ही, सरकारी जमीनों को पिछड़े वर्गों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध करवाया है।

यह रेनू के कार्यकाल में ही था, जब कई अस्पतालों के सहयोग से एक मेगा मेडिकल कैंप आयोजित किया गया। इसमें 2,000 वरिष्ठ नागरिकों का चेकअप हुआ; मौके पर उन्हें उपचार दिया गया, और बाद में 250 नि:शुल्क सर्जरी भी की गई। त्रिशूर में आयोजित राजकीय स्कूल युवा उत्सव के आयोजन और केरल में बाढ़ के दौरान राहत प्रयासों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।

“सबसे ज़्यादा जरूरी था, कि मैं इन बुजुर्गों को उनके बच्चों के साथ घर भेज पाऊं, न कि दूसरे किसी वृद्धाश्रम में। यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि दूसरों के जीवन में बदलाव लाना ही मेरा सपना रहा है,” रेनू ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए कहा।

2019 में, रेनू राज (मुन्नार में तैनात) ने जिले के बागान श्रमिकों, विशेष रूप से उनके बच्चों की शिक्षा और रोज़गार के विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई है।

9. कुंदन कुमार, आईएएस

कुंदन कुमार

बिहार का बांका जिला पिछले कुछ समय से विकास के क्षेत्र में कई रिकॉर्ड बना रहा है। यहीं से ‘उन्नयन बांका प्रोग्राम‘ की भी शुरुआत हुई है। यह प्रोग्राम एक ऑनलाइन-ऑफलाइन प्रक्रिया है जिसके तहत अत्याधुनिक तकनीक जैसे एआई और बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाया जा रहा है। वास्तव में, इस प्रोजेक्ट की सफ़लता यह है, कि केंद्र सरकार भारत के लगभग 5,000 गांवों के स्कूलों में इसे लागू कर रही है!

इस अद्भुत परिवर्तन को लाने वाले व्यक्ति हैं, बांका के आईएएस अधिकारी कुंदन कुमार। इस अविश्वसनीय पहल ने सिंगापुर को हराकर द्विवार्षिक राष्ट्रमंडल CAPAM सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय नवाचार पुरस्कार 2018 भी जीता है।

“सबसे आश्चर्यजनक प्रभाव इन गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों के आत्मविश्वास पर पड़ा है। राजमिस्त्री और चाय बेचने वालों के बच्चे अब सेमिनार का नेतृत्व करने और अमेरिका में प्रोफेसरों के सवालों का जवाब देने से नहीं डरते हैं। अब वे राज्य के टॉपरों की सूची में अपनी मोहर लगा रहे हैं और टीसीएस जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी पा रहे हैं,” कुंदन ने कहा।

2019 में कुंदन कुमार भारत में उन सभी जिलों के साथ काम करने की योजना बना रहे हैं, जहाँ ‘उन्नयन प्रोग्राम’ को लागु किया गया है।

10. कृष्णा तेजा, आईएएस

कृष्णा तेजा

केरल में, आईएएस अधिकारी कृष्णा तेजा स्थानीय लोगों के लिए किसी हीरो से कम नहीं हैं। केरल के अलाप्पुझा जिले में कुट्टनाड के उप-कलेक्टर के रूप में, उन्होंने अगस्त 2018 में आई भयानक बाढ़ के दौरान लगभग 2.5 लाख लोगों (और 12000 मवेशियों) की जान बचाने के लिए बहुत बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन किया था।

हालाँकि, ‘ऑपरेशन कुट्टनाड’ केवल शुरुआत थी। उसके बाद दो सप्ताह के लिए, जिला प्रशासन ने लगभग 700 राहत शिविरों का आयोजन और प्रबंधन किया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि लोग अपने इन अस्थायी घरों में अच्छी तरह से रहें। उन्होंने समुदाय संचालित ‘आई एम फॉर अल्लेप्पी’ पहल की शुरुआत भी की, जिसके तहत 500 घरों का निर्माण, 100 आँगनवाड़ियों को गोद लेना, लगभग 40,000 स्कूल-किट का वितरण आदि किया गया।

“सबसे आगे रहकर एक आंदोलन का नेतृत्व करने का मतलब है कि आपको इसे बरकरार रखना होगा, चाहे कुछ भी हो। इसलिए मैंने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश की, कि ‘ऑपरेशन कुट्टनाड’ कभी बेकार न जाए। ‘आई एम फॉर अल्लेप्पी’ पहल के ज़रिये मैं बस यही करने की कोशिश कर रहा हूँ,” आईएएस तेजा ने बताया।

आने वाले साल में, कृष्णा तेजा इस पहल के सभी उद्देश्यों को पूरा करने पर ध्यान केन्द्रित करेंगें।

अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठां से निभाने वाले इन, और इन जैसे सभी अधिकारियों को हमारा सलाम!

संपादन – मानबी कटोच

मूल लेख: संचारी पाल


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X