आज के समय में बहुत से लोगों के लिए सोलर सिस्टम लगवाने का मुख्य कारण बिजली का बढ़ता बिल है। बढ़ते तापमान के कारण शहर क्या ग्रामीण इलाकों में भी एसी और कूलर की खपत बढ़ने लगी है। जिसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ता है और साथ ही, पर्यावरण पर भी। इसलिए अगर आप लंबे समय तक के लिए अपने बिजली बिल को कम करना चाहते हैं और साथ ही ग्रिड कनेक्शन पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहते हैं तो सौर सिस्टम लगवा सकते हैं। सौर पैनल से आप पर्यावरण में अपना कार्बन फुटप्रिंट भी कम कर सकते हैं।
सौर सिस्टम उन जगहों पर भी कारगर हो सकता है, जहां बिजली की समस्या है। आज भी बहुत से इलाकों में बिजली की आपूर्ति 24 घंटे नहीं होती है। बार-बार होने वाले पावर कट के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। यही वजह है कि हरियाणा के घनश्याम मिश्रा ने अपने घर में सौर पैनल लगवाया है। दिलचस्प बात यह है कि घनश्याम किराये के घर में रहते हुए सौर ऊर्जा का फायदा उठा रहे हैं।
फरीदाबाद में रहने वाले घनश्याम ने द बेटर इंडिया को अपने इस कदम के बारे में विस्तार से बताया।
बार-बार बिजली जाने से थे परेशान
घनश्याम ने बताया, “मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूं और अपने परिवार के साथ पांच-छह साल से फरीदाबाद में रह रहा हूं। हम जिस इलाके में रहते हैं, वहां पावर कट की समस्या बहुत ज्यादा है। काफी समय से हम यह समस्या झेल रहे थे। इसलिए मैंने सोचा कि इसका क्या समाधान हो सकता है। साथ ही मध्यम-वर्गीय परिवारों के लिए बिजली बिल भी एक बड़ी समस्या है।”
घनश्याम ने अपने जानने वालों से इस बारे में बात की। उन्होंने सोचा कि क्यों न सौर ऊर्जा की तरफ मुड़ा जाए। लेकिन अब सवाल यह था कि वह किराये के घर में रहते हैं तो उन्हें ऐसा सौर पैनल चाहिए था जिसे बाद में वह कहीं भी ले जा सकें। उन्होंने कहा, “मैंने इस बारे में थोड़ी रिसर्च की और मुझे लूम सोलर के बारे में पता चला। उनसे मैंने एक 125 वाट का मिनी सोलर पैनल मंगवाया। इसके बाद, मैंने एक और 100 वाट का पैनल लगवाया और अब कुल 225 वाट का सौर सिस्टम मेरे घर में लगा हुआ है।”
घनश्याम ने सौर पैनल के साथ-साथ इन्वर्टर और बैटरी भी लिया। उन्होंने अपने सौर पैनल को बिना फिक्स कराये 45 डिग्री के एंगल पर रखा हुआ है, जिससे सूरज की रौशनी लगातार पैनल को मिलती रहती है। सौर पैनल से उन्होंने इन्वर्टर और बैटरी को जोड़ दिया है, जिससे बिजली न होने पर उनके घर में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। पैनल, इन्वर्टर और बैटरी पर उनकी कुल लागत लगभग 22 हजार रुपए आई थी।
बिजली बिल में भी हो रही है बचत
घनश्याम आगे बताते हैं, “पिछले साल लॉकडाउन के बाद हमने यह सिस्टम लगवाया था। तब से लेकर अब तक हमें बिजली की कोई समस्या नहीं हुई है। अगर बिजली नहीं रहती है तो हमारे सौर सिस्टम से एक पंखा, तीन-चार लाइट और टीवी चल जाता है। पहले कई-कई घंटे तक लाइट न आने से गर्मी में बैठना पड़ता था। खासकर कि लॉकडाउन में काफी परेशानी बढ़ गयी थी। क्योंकि सभी लोग घर में थे और ऐसे में लाइट न रहने से पंखा या टीवी नहीं चलता था। जिससे सबको ही परेशानी हो रही थी।”
बिजली की कटौती की समस्या तो हल हो ही गयी। साथ ही उन्हें बिजली बिल में भी काफी राहत मिली है। उन्होंने कहा, “पहले जहां बिजली का बिल लगभग 1700 रुपए तक आता था। उसमें अब लगभग 50% तक की बचत हो रही है। इन्वर्टर ज्यादातर सौर पैनल से ही चार्ज हो जाता है और एक बार चार्ज होने के बाद यह लगभग 10-12 घंटे तक चलता है।”
गर्मी के मौसम में अच्छी धूप होने से बिजली भी अच्छी बनती है, जिससे लाइट और पंखा आसानी से चलते हैं। हालांकि, सर्दियों में बिजली कम बनती है। लेकिन सर्दियों में बिजली की खपत भी कम होती है। जैसे उस समय पंखे बंद रहते हैं। उस दौरान सौर पैनल से इतनी बिजली बन जाती है कि रात के समय एक-दो लाइट घर में जल सकें।
“मुझे इस मिनी सोलर सिस्टम से काफी मदद मिली है। रही बात लागत की तो यह एक बार का निवेश है। अब अगर हमें कहीं और भी शिफ्ट करना पड़ा तो वहां जाकर भी हम इन्हीं पैनल और बाकी सिस्टम को इस्तेमाल कर सकते हैं। मैंने अपने बहुत से जानने वालों को यह सुझाव दिया है कि वे इस तरह का मिनी सौर सिस्टम लगवाकर बिजली की खपत को कम रख सकते हैं,” उन्होंने अंत में कहा।
संपादन- जी एन झा
तस्वीर साभार: घनश्याम मिश्रा
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