लॉकडाउन में नौकरी जाने पर नहीं मानी हार, घर चलाने के लिए बेचने लगे चाट-पकौड़ी

संजय भाटिया आजकल दिल्ली के तिलक नगर में 'हाइजीन चाट कार्नर' चलाते हैं।

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते देश में बहुत से लोग बेरोज़गार हुए हैं। हाथ से नौकरी का चला जाना, परिवार की ज़िम्मेदारियाँ और भविष्य की अनिश्चितता, इन सब चिंताओं में बहुत से लोग इस दौरान अवसाद का शिकार भी हुए हैं। अगर प्रत्यक्ष तरीके से आंकड़ों की जाँच की जाए तो आज हर तबके, हर लिंग और उम्र के लोग अवसाद से घिरे मिलेंगे। और सवाल यह है कि आखिर स्थिति कब बेहतर होगी?

बहुत से लोग आज भी जहाँ ऊपरवाले के भरोसे बैठे हैं, वहीं बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी परेशानियों का हल खुद निकालने की ठानी है। हम लगातार आप तक प्रेरक कहानियों को पहुँचा रहे हैं ताकि ये किसी न किसी के किसी के जीवन में उम्मीद का काम करें। आज द बेटर इंडिया आपको एक और ऐसी ही प्रेरणादायी इंसान से मिलवा रहा है, जिन्होंने अपनी नौकरी गंवाई और बिगड़ते हालातों में अवसाद में चले गए। लेकिन फिर हर मुश्किल से लड़ते हुए खुद को संभाला और अपनी कमाई के साधन तलाशे।

हम बात कर रहे हैं दिल्ली के तिलक नगर में रहने वाले संजय भाटिया की। लॉकडाउन के दौरान उनकी कमाई का इकलौता जरिया, उनकी नौकरी चली गयी। इसके बाद वह लगभग 6 महीने तक घर बैठे रहे और डिप्रेशन का शिकार हो गए। लेकिन इसके बावजूद आज उन्होंने एक मिसाल कायम की है। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “मार्च 2020 तक मेरे पास अच्छी-खासी नौकरी थी और ज़िन्दगी अच्छी चल रही थी। हमने बड़ी बेटी की शादी कर दी और बाकी दो छोटे बच्चों की पढ़ाई चल रही है। इसके साथ ही, घर भी ठीक-ठाक चल रहा था।”

जिस रेस्तरां में संजय काम करते थे वह लॉकडाउन में बंद हो गया। बाद में भी, इसे चलाने के लिए मालिक के पास साधन नहीं थे इसलिए उन्होंने इसे बंद ही कर दिया। वह बताते हैं कि यह रेस्तरां ग्रेटर नोएडा में बहुत से कॉलेज के छात्रों का ठिकाना हुआ करता था। लेकिन कॉलेज बंद हो गया और छात्र अपने-अपने घर लौट गए। इसलिए काम ठप्प पड़ गया।

मुश्किल वक़्त में किया संघर्ष

Sanjay Bhatia
Sanjay Bhatia with his wife.

संजय कहते हैं, “मार्च से सितंबर तक का समय बहुत ही बुरा था। मुझे लगने लगा था मानो मैं किसी काम का ही नहीं हूँ। मैं एक रूपया कमा नहीं रहा था। उस कठिन दौर में हालांकि मेरे एक शुभचिंतक ने आर्थिक मदद की थी, जिससे कुछ राहत मिली, लेकिन मैं नौकरी को लेकर परेशान था।”

संजय आगे कहते हैं कि वह हिम्मत हारने लगे थे और ऐसे में उनकी माँ, पत्नी और बेटी ने उन्हें संभाला। उन्हें उदासी से निकाला और एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े होने की हिम्मत दी। “उन्होंने कहा कि मुझे अपना कुछ शुरू करना चाहिए क्योंकि वह जानते थे कि मैं एक अच्छा कुक हूँ,” उन्होंने बताया। और भी लोगों ने अपने तरीकों से उनकी मदद की जैसे उनके मकान-मालिक। उन्होंने संजय से कहा कि जब तक वह अपना काम नहीं अच्छे से शुरू कर लेते, वह मकान का किराया कम दे सकते हैं।

“दुनिया में बहुत सारे अच्छे लोग हैं, ज़रूरत है तो बस उन्हें ढूंढने की,” संजय ने कहा। इधर-उधर नौकरी की तलाश में भटक रहे संजय को समय-समय पर कैटरिंग के आर्डर भी मिलने लगे।

दही भल्ले ने संभाली ज़िन्दगी

Delhi Chaat Corner

संजय ने 3 सितंबर 2020 को अपना चाट स्टॉल शुरू किया। स्टॉल को स्थापित करने में उन्होंने 30 हज़ार रुपये लगाए जो उन्होंने किसी से उधार लिए थे। इस स्टॉल पर आप दही भल्ला, भल्ला पापड़ी चाट, तवा ब्रेड, और स्टफ्ड टिक्की खा सकते हैं, जिनकी कीमत 60 रुपये प्लेट है और वेजीटेरियन बर्गर की कीमत 40 रुपये है।

अभी संजय महीने में 8 से 10 हज़ार रुपये कमा पा रहे हैं। धीरे-धीरे उनकी स्टॉल पर लोगों की संख्या बढ़ने भी लगी है। उनकी पत्नी, रजनी भाटिया स्टॉल के सभी कामों में उनकी मदद करतीं हैं। वह घर पर काम खत्म करके स्टॉल पर आ जातीं हैं। संजय कहते हैं कि उनके सभी व्यंजनों में आपको स्वाद और गुणवत्ता भरपूर मिलेगी। इन दोनों चीज़ों के साथ वह किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते हैं।

संजय अपनी स्टॉल हर दिन दोपहर में लगाते हैं। सुबह 11 बजे से वह स्टॉल पर सभी चीज़ें तैयार करने लगते हैं। इसके बाद दोनों पति-पत्नी रात को साढ़े नौ बजे तक भी कई बार स्टॉल पर होते हैं। वह कहते हैं, ” कभी-कभी बिक्री कम भी होती है। हर दिन एक संघर्ष है लेकिन मुझे ख़ुशी है कि अब मेरे पास कम से कम कोई काम है जिससे मैं कमाई कर सकता हूँ,” उन्होंने कहा।

सोशल मीडिया पर संजय के बारे में सबसे पहले एक फ़ूड ब्लॉगर सरबजीत सिंह ने लिखा था। सिंह कहते हैं, “मुझे संजय के बारे में जो बात सबसे अच्छी लगी वह था उनका आत्मविश्वास। यह दंपति बहुत ही मेहनती हैं। यह बात मैं दावे के साथ इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैंने उनके साथ कुछ घंटे बिताएं हैं। ये दोनों बहुत मेहनत करते हैं।”

Delhi Man
Sarabjeet Singh

बेशक, संजय भाटिया की कहानी हम सबके लिए प्रेरणा है और इस मुश्किल वक़्त में एक उम्मीद की किरण कि हर मुश्किल से निकलने का कोई न कोई रास्ता अवश्य होता है। आपको ज़रूरत है तो बस खुद पर भरोसा रखने की।

दिल्ली के निवासियों से हम सिर्फ यही कहना चाहेंगे कि अगर कभी तिलक नगर फ्रूट मार्किट जाएँ तो संजय भाटिया के हाइजीन चाट कार्नर पर ज़रूर रुकें!

मूल लेख: विद्या राजा

यह भी पढ़ें: 92 वर्षीया ‘अम्मीजी’ के चाय मसाले से शुरू हुआ व्यवसाय, अब बना रहे हैं 40 प्रोडक्ट्स

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Delhi Man, Delhi Man started Stall, Delhi Man started his own business, Delhi Man

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X