15 साल से अपनी गली, मोहल्ले और शहर को साफ कर रहीं हैं 63 वर्षीया रेनू गुप्ता

अगर आपको भी लगता है कि आपके घर के पास लगे कूड़े के ढेरों को हटाने और साफ़ करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की है तो पढ़िए दिल्ली की इस महिला की कहानी!

द बेटर इंडिया आपको अक्सर ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों की कहानियाँ सुनाते आ रहा है, जिन्होंने अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से निभाते हुए स्वच्छता के क्षेत्र में भी मिसाल कायम की है। पिछले कुछ वर्षों में स्वच्छता के प्रति न सिर्फ अधिकारियों की बल्कि गाँव के सरपंचों की मुहिम भी तेज हुई है। लेकिन आज हम आपको एक आम नागरिक की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिन्होंने गंदगी से भरे इलाकों को स्वच्छता और हरियाली की डगर दिखाई है।

हम बात कर रहे हैं दिल्ली की रहने वाली 63 वर्षीय रेनू गुप्ता की। अक्सर बच्चों के घर से दूर शिफ्ट करने के बाद माता-पिता बढ़ती उम्र में अकेलेपन का शिकार होने लगते हैं। ऐसे में बहुत से माता-पिता अपनी जड़ों को छोड़कर बच्चों का साथ तलाशते हैं तो कोई अपने किसी पुराने सपने को पूरा करने में जुट जाते हैं। लेकिन रेनू के बच्चे जब अपने करियर के चलते उनसे दूर दूसरे शहरों में गए तो उन्होंने अपने समय को समाज की भलाई के लिए उपयोग में लाने की ठानी।

पिछले 15 सालों से वह बिना किसी लाइमलाइट के अपने घर के आस-पास खाली और गंदगी से भरी जगहों को साफ़-सुथरा बनाने में जुटी हैं। उन्होंने इन जगहों को हरियाली से भर दिया है और अगर उनसे पूछा जाए कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं तो उनका कहना है, “अपनी आँखों से सामने इस बदलाव को होते देखने में बहुत आनंद मिलता है।”

 

Delhi Grandmother Transformed Dump Yard
Renu Gupta, a Delhi resident – busy at work.

 

बदलाव की है ख्वाहिश:

 

रेनू बतातीं हैं कि वह अगर कहीं जाती हैं या कहीं ड्राइव कर रही होती हैं तो वह अक्सर आसपास ध्यान देती हैं। वह कोशिश करतीं हैं ऐसी जगह तलाशने की जिन्हें वह साफ़ करके खूबसूरत और आकर्षक बना सकें। “सबसे पहले मैं ऐसी जगह तलाशती हूँ जिसे साफ़-सफाई की ज़रूरत है। फिर मैं वहाँ काम शुरू करतीं हूँ और मुझे काम करते देखकर खुद-ब-खुद दूसरे लोग भी मेरी मदद के लिए आ जाते हैं। इस तरह से मैंने इतने सालों तक यह काम किया है,” उन्होंने कहा।

हालांकि, जितने आसान शब्दों में रेनू ने बताया है, उतना आसान यह काम है नहीं। उनकी बेटी राशि इस बात पर रौशनी डालतीं हैं और कहतीं हैं, “माँ को इस तरह के काम में बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर उन्होंने कुछ करने की ठान ली है तो उसे करके ही दम लेती हैं। यहाँ तक कि कोरोना महामारी के बीच भी वह अपने काम में जुटीं रहीं, आप उन्हें रोक नहीं सकते। सच कहूँ तो अक्सर माँ के साथ इसी बात पर मेरी बहस भी होती है। मैं माँ के स्वास्थ्य को लेकर चिंतिंत रहती हूँ।”

 

खाली, गंदी जगहों को बनाया खूबसूरत:

 

राशि ने बताया कि उनकी माँ ज़्यादातर नानक प्याऊ साहिब गुरुद्वारे माथा टेकने जाती हैं। यह गुरुद्वारा अंदर से जितना साफ़ और शांत है, इसके बाहर उतनी ही गंदगी हुआ करती थी। इसलिए गुरूद्वारा समिति से रेनू ने संपर्क किया और उनसे निवेदन किया कि क्या वह इस जगह का साफ़ कर सकती हैं? समिति ने रेनू के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और फिर उन्होंने उस इलाके को स्वच्छ बनाने की मुहिम शुरू कर दी।

 

Grandmother Transformed Dump Yard
Beautification underway in Delhi.

अगर आप कभी रेनू की कार देखेंगे तो आपको इसमें साफ़-सफाई करने के सभी टूल्स और दूसरी चीजें रहती हैं। जैसे ही उन्हें गुरूद्वारा समिति से अनुमति मिली, फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उन्होंने अपने सहयोगी, अपने माली और अपने ड्राईवर के साथ काम शुरू किया। रेनू ने 5 महीनों में ही इस जगह की तस्वीर बिल्कुल बदल दी। उन्होंने इस जगह के लिए पहले से उपलब्ध चीजों और कुछ लोगों द्वारा ख़ुशी से दान की गई चीजों को इस्तेमाल किया।

“ऐसा लगता है कि इस काम में बहुत पैसा खर्च हुआ होगा लेकिन सब चीजें एक-एक करके साथ में आ गईं,” उन्होंने कहा। और अंत में वह बस यही कहतीं हैं कि उन्हें कभी भी बुढ़ापा या फिर कोई कमजोरी नहीं लगती है। क्योंकि उनके पास बहुत कुछ है करने को।

बेशक, रेनू गुप्ता के ये प्रयास काबिल-ए-तारीफ़ हैं और हमें उम्मीद है कि बहुत से लोग उनकी कहानी से प्रेरणा लेंगे।

 

मूल लेख: विद्या राजा
संपादन – जी. एन झा 

यह भी पढ़ें: सरकारी शौचालयों की बदहाली देख, खुद उठाया जिम्मा, शिपिंग कंटेनरों से बनायें सैकड़ों शौचालय


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Grandmother Transformed Dump Yard, Delhi Grandmother Transformed Dump Yard

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X