पुराने अख़बारों से बनातीं हैं खूबसूरत गुड़िया, 100 से ज्यादा हैं ग्राहक

राधिका को हड्डियों की एक दुर्लभ बीमारी है, जिस वजह से वह ज़्यादा बाहर आ-जा नहीं सकतीं लेकिन अपने हुनर के दम पर अब वह महीने के 8-10 हज़ार रूपये कमा लेतीं हैं।

हम सभी ने ‘MAD’ नामक टेलीविज़न शो ज़रूर देखा होगा, जिसमें बच्चों को आर्ट एंड क्राफ्ट सिखाया जाता है। उस समय की दुनिया आज की तरह मोबाइल, गेम्स और सोशल मीडिया से भरी हुई नहीं थी। तब बच्चे बाहर खेला करते थे और जो बाहर नहीं जाते उनके लिए टीवी पर आने वाले MAD जैसे शो ही मनोरंजन का साधन थे।

लेकिन कोयम्बटूर में रहने वाली राधिका के लिए यह शो अपनी एक पहचान बनाने का ज़रिया बन गया। राधिका को बचपन से हड्डियों की दुर्लभ बीमारी है, जिसकी वजह से वह ज्यादा बाहर आ-जा नहीं सकती हैं। वह बताती हैं कि 5 साल की उम्र तक सभी कुछ ठीक था लेकिन फिर स्थिति बिगड़ती ही चली गई। उनका स्कूल जाना बंद हो गया। बीमारी की वजह से वह काफी मानसिक तनाव में भी रहीं।

उसी तनाव और निराशा से स्वयं को बाहर निकालने के लिए उन्होंने कला का सहारा लिया। उन्होंने टीवी के ज़रिए आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स के शो देखे और कुछ न कुछ बनातीं रहतीं थीं। सालों के अभ्यास ने उनके हुनर को इस कदर निखार दिया कि आज वह 20 वर्ष की उम्र में खुद कमा रहीं हैं।

Radhika with her Dolls

फिलहाल, राधिका अपनी पुराने अख़बारों से बनी गुड़िया के लिए बहुत ही मशहूर हैं। वह पुराने अख़बारों से तरह-तरह की गुड़िया बनाती हैं और अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर साझा करती हैं। वह बताती हैं, “अखबार से गुड़िया बनाने की प्रेरणा मुझे एक यूट्यूब वीडियो देखकर मिली। मेरे भाई के दोस्त ने वह वीडियो मेरे साथ शेयर की थी क्योंकि उन्हें पता था कि मैं आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स में काफी दिलचस्पी रखती हूँ। मैंने पहले अफ्रिकन गुड़िया बनाने से शुरुआत की। इनकी खासियत यह है कि इन गुड़िया के आँख-नाक-कान यानी कि चेहरे के नैन-नक्श नहीं बनाने पड़ते हैं।”

राधिका ने अख़बार से खूबसूरत चीजें बनाने के बेसिक यूट्यूब से सीखे, लेकिन फिर उन्होंने खुद बार-बार ट्राई करके खुद को परिपक्व किया। एक बार जब राधिका अच्छी और प्रोफेशनल लेवल की गुड़िया बनाने लगी तो उनके भाई ने इन्हें फेसबुक और इंस्टाग्राम पर साझा किया। धीरे-धीरे उन्हें ऑर्डर भी मिलने शुरू हो गए।

वह बताती हैं कि अपने प्रोडक्ट्स के लिए पुराने अखबार, ऐक्रेलिक कलर और ग्लू का इस्तेमाल करती हैं। उन्हें सामान्य तौर पर एक गुड़िया बनाने में 4 से 5 घंटे लगते हैं। हालांकि, जब वह किसी नए डिज़ाइन पर काम करती हैं तो कभी-कभी उन्हें 1 से 2 दिन का समय भी चाहिए होता है।

राधिका अखबार से अफ्रिकन गुड़िया बनाने के अलावा अब भारतीय पारंपरिक वेश-भूषा वाली गुड़िया भी बना रही हैं। साथ ही, वह अख़बारों से वॉल चिमनी, बाइक, साइकिल और पेन-स्टैंड भी बनाती हैं। कभी-कभी वह ग्राहकों के हिसाब से भी प्रोडक्ट्स बनाती हैं।

“फ़िलहाल, मेरे प्रोडक्ट्स लगभग 100 ग्राहकों तक पहुँच रहे हैं और हर महीने मैं लगभग 10 हज़ार रुपये तक कमा लेती हूँ। मेरे प्रोडक्ट्स ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका तक भी पहुंचे हैं। लेकिन पैसे से भी ज्यादा मेरे लिए यह मायने रखता है कि मेरा काम लोगों को पसंद आ रहा है। साथ ही, आज मैं लोगों के लिए प्रेरणा बन रही हूँ,” उन्होंने कहा।

राधिका ने अपनी कमजोरी को पीछे रखकर अपने हौसले से अपनी पहचान बनाने पर काम किया। उनका यही हौसला और हिम्मत आज उन्हें सम्मान भी दिला रहा है। राधिका को कई तरह के पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है और उन्हें कई जगह मोटिवेशनल स्पीकर के तौर भी बुलाया जाता है।

“हमेशा वह करने की कोशिश करो जो आपको पसंद हो। चाहे उसके लिए हमें कितनी ही मुश्किलों का सामना क्यों ना करना पड़े। इस सफर में आपको कई बार असफलता मिल सकती है लेकिन एक दिन आप ज़रूर सफल होंगे और इससे आपको सिर्फ ख़ुशी मिलेगी। इसलिए मेहनत करते रहें,” उन्होंने अंत में कहा।

राधिका के प्रोडक्ट्स देखने और खरीदने के लिए आप उन्हें 097915 15994 पर मैसेज कर सकते हैं! उनका फेसबुक पेज देखने के लिए यहाँ क्लिक करें!

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