आंध्र प्रदेश के किसानो ने मिलकर प्रदेश के विकास के लिए दिए ३.५ लाख रुपये

आंध्र प्रदेश के कुछ किसानों ने आगे बढ़कर, प्रदेश की नयी राजधानी, अमरावती के विकास के लिये ३.५ लाख रुपये एकत्रित किये । शनिवार को इन किसानो ने मुख्यमंत्री श्री चंद्रबाबू नायडू को इस राशि का चेक प्रदान किया।

आंध्र प्रदेश के कुछ किसानों ने आगे बढ़कर, प्रदेश की नयी राजधानी, अमरावती के विकास के लिये ३.५ लाख रुपये एकत्रित किये । शनिवार को इन किसानो ने मुख्यमंत्री श्री चंद्राबाबू नायडू को इस राशि का चेक प्रदान किया।

आंध्र प्रदेश के ठुल्लुर गाँव के किसानो ने एक उदाहरण पेश किया है की यदि चाह हो तो देश की प्रगति में अपना योगदान देना कठिन नहीं है।

शनिवार को, इन किसानों ने मुख्यमंत्री, श्री चंद्राबाबू नायडू से भेंट की तथा अमरावती के विकास के लिए उन्हें ३,५२,६७५ रुपये का चेक प्रदान किया ।

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Picture for Representation. Credit: Sarath Kuchi/Flickr

तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के विभाजन के उपरान्त, २०२४ तक के लिए हैदराबाद को दोनों राज्यों की राजधानी घोषित किया गया।  इसके बाद कृष्णा नदी के तट पर स्थित अमरावती आंध्र प्रदेश की राजधानी बन जाएगी ।

इस वर्ष, मुख्यमंत्री ने यह संकल्प लिया है कि अमरावती को “विश्व के सर्वोत्तम शहर” के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए सिंगापुर ने एक निःशुल्क योजना भी बनायीं है। मुख्यमंत्री ने इस विकास कार्य के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों से आगे आ कर सहयोग करने का आग्रह किया है ।

आंध्र प्रदेश सरकार स्वैच्छिक भूमि संग्रह नीति का प्रयोग कर अमरावती का विकास करने चाहते है। इसके अंतर्गत ज़मींदार स्वेच्छा से अपनी कुछ भूमि सरकार को देते है। सरकार इस भूमि का उपयोग, विकास के कार्य, जैसे सीवर (sewage lines), सड़क, आदि के निर्माण में करती है। इसके उपरान्त इस विकसित भूमि का एक छोटा भाग ज़मींदार को वापिस मिल जाता है। विकसित क्षेत्र बन जाने से इस भूमि के टुकड़े का मूल्य भी पहले के मूल्य से कहीं अधिक बढ़ जाता है। यदि कोई भूमि उपजाऊ होती है तो सरकार उस भूमि के लिए ज़मींदार को अगले 10 वर्ष तक ५०००० रुपये सालाना तथा थोड़ी अधिक ज़मीन भी देती है। किसानो ने इसी भूमि से मिलने वाले किराए को दान किया है।

श्री चंद्राबाबु नायडू कहते हैं,

“ इतिहास में पहली बार भूमि संग्रह नीति से ३३००० एकड़ की ज़मीन एकत्रित की गयी है  यह निश्चित  ही किसानो एवं नागरिको के सहयोग के बिना संभव नहीं हो पाता।”


मूल लेख – तान्या सिंग 

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