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‘पाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’!

9 सितंबर 1950 को पंजाब के जलंधर जिले के गाँव तलवंडी सलेम में सेवानिवृत्त मेजर सोहन सिंह संधू के घर एक बालक का जन्म हुआ। नाम रखा गया - अवतार सिंह। किशोरावस्था में पहुँचने तक अवतार सिंह ने सामाजिक तथा राजनितिक कार्यो में रूचि लेनी शुरू कर दी थी। इन्होने अपनी कलम के ज़रिये पुरे पंजाब में क्रांति फैला दी। और आगे चलकर अवतार सिंह संधू क्रांतिकारी पंजाबी कवी 'पाश' के नाम से मशहूर हो गए।

9 सितंबर 1950 को पंजाब के जलंधर जिले के गाँव तलवंडी सलेम में सेवानिवृत्त मेजर सोहन सिंह संधू के घर एक बालक का जन्म हुआ। नाम रखा गया – अवतार सिंह। किशोरावस्था में पहुँचने तक अवतार सिंह ने सामाजिक तथा राजनितिक कार्यो में रूचि लेनी शुरू कर दी थी। इन्होने अपनी कलम के ज़रिये पुरे पंजाब में क्रांति फैला दी। और आगे चलकर अवतार सिंह संधू क्रांतिकारी पंजाबी कवी ‘पाश’ के नाम से मशहूर हो गए।

पाश ने पंद्रह साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी और उसी समय उनका जुड़ाव कम्युनिस्ट आंदोलन से हुआ। मात्र 19 साल की उम्र में उन्हें एक झूठे केस में फँसाकर जेल में डाला गया और भीषण यंत्रणाएं दी गईं। लेकिन उनके इंकलाबी विचारों को कुचलने में शासकवर्ग विफल रहा। उनकी कवितायें जेल से भी बाहर आती रहीं और 1970 में उनके पहले कविता संग्रह का हिंदी अनुवाद ‘लौहकथा’ प्रकाशित हुआ, जिसमें 36 कविताएं थीं, जिन्होंने हिन्‍दी की क्रान्‍ति‍कारी कविता को नई चमक और आवेग दे दी।

पाश ने ज्यादातर कवितायें पंजाबी में ही लिखीं। पर उनकी प्रत्येक कविता का हिंदी में अनुवाद मौजूद है। प्रस्तुत है उनकी एक पंजाबी कविता का हिंदी अनुवाद –

सबसे खतरनाक!

मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गद्दारी, लोभ की मुट्ठी
सबसे ख़तरनाक नहीं होती

बैठे बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है
सहमी सी चुप्पी में जकड़े जाना बुरा तो है
पर सबसे ख़तरनाक नहीं होती

सबसे ख़तरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
ना होना तड़प का
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौट कर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक वो आँखें होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है..
जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीज़ों से उठती अन्धेपन कि भाप पर ढुलक जाती है
जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
सबसे ख़तरनाक वो दिशा होती है
जिसमे आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके ज़िस्म के पूरब में चुभ जाए…

                                                      – पाश

 

23 मार्च 1988 को महज 38 साल की उम्र में, खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गयी। पर ‘पाश’ मरा नहीं करते, वो जिंदा रहते है, आपके विचारो में, आपके ज़हन में, आपकी उस आत्मा के रूप में जो अपनी कविताओं के ज़रिये आपसे सवाल पूछती रहती है।

 

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