सोमवार की सुबह जब हम सभी दशहरे की तैयारियों में लगे हुए थे, एक परिवार ऐसा भी था जिन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पडा था। यह परिवार था, सरिता टाकरू का, जिन्होंने सोमवार को अपने पति को खो दिया। करनाल की रहनेवाली सरिता अपने पति के अंतिम संस्कार के लिए अपने बेटे, अभय कौल के इंतज़ार में थी, जो की अमरीका में रहते है। पर बेटे के बजाय, सरिता के पास एक और दुखदायी खबर पहुंची कि अभय अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए नहीं पहुँच पाएंगे। भारतीय दूतावास में दशहरे और मुहर्रम के उपलक्ष्य पर दो दिन की छुट्टी होने के कारण, अभय को गुरुवार तक वीसा नहीं मिलने वाला था।
ऐसे में हताश सरिता ने सोशल मिडिया का सहारा लेते हुए, ट्विटर पर विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगायी।
This dreadful wait must end. Please give my son Indian visa in US so his father may be cremated. Please support. Need empathy.
— Sarita Takru (@saritakru) October 11, 2016
Please please do something so our only child can see his father.
— Sarita Takru (@saritakru) October 11, 2016
ट्विटर पर सरिता ने सुषमा स्वराज को लिखा, “इस जानलेवा इंतज़ार का अब अंत होना ही चाहिए। कृपया मेरे बेटे को अमरीका से भारतीय वीसा दिलाये ताकि उसके पिता का अंतिम संस्कार हो सके। कृपया हमारी मदद करे। हम संवेदनशीलता की उम्मीद रखते है। कृपया कुछ तो कीजिये ताकि हमारी एकमात्र संतान अपने पिता को आखरी बार देख सके।”
एक ज़िम्मेदार और संवेदनशील नेता होने का परिचय देते हुए श्रीमती सुषमा स्वराज ने तुरंत सरिता को आश्वासन दिया कि सरिता के बेटे अभय को, छुट्टी होने के बावजूद तुरंत वीसा दे दिया जायेगा। साथ ही उन्होंने भारतीय दूतावास को भी हिदायत देते हुए कहा कि वे इस मामले में तुरंत सरिता की मदद करे।
Our Embassy in US is closed for Vijaya Dashmi and Moharram. I have sent a message. We will open the Embassy and give visa to your son. https://t.co/W5may5dy0H
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) October 11, 2016
सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर सरिता को जवाब देते हुए लिखा, “अमरीका में हमारा दूतावास इस समय विजय दशमी और मुहर्रम के उपलक्ष्य में बंद है। मैंने दूतावास को सन्देश पहुंचा दिया है। हम दूतावास को खोल कर आपके बेटे को वीसा दे देंगे।”
इस तरह एक माँ की गुहार पर अमरीका में भारतीय दूतावास को छुट्टी वाले दिन खोला गया और एक बेटा अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के कर्तव्य को निभा पाया।
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