Placeholder canvas

गोपीचंद की मेहनत और सिंधु की लगन ने आखिर भारत को दिलाया रजत पदक!

हम सभी को हीरे की जगमगाहट आकर्षित करती है पर उसकी जगमगाहट के पिछे जिसका हाथ है उस जौहरी पर अक्सर हमारी नज़र भी नहीं पड़ती । हीरे की जगमगाती ख़ूबसूरती के पीछे एक जौहरी के सधे हुए हाथ, धैर्य , मेहनत और लगन होती है। ठीक इसी तरह रियो ओलंपिक्स 2016 में भारतीय महिला बैडमिंटन की शटलर क्वीन पी. वी. सिंधु के तूफानी प्रदर्शन के पीछे उनके गुरु, कोच पुलेला गोपीचंद की कड़ी मेहनत और सिन्धु पर दिखाए अपार विश्वास का हाथ है।

म सभी को हीरे की जगमगाहट आकर्षित करती है पर उसकी जगमगाहट के पिछे जिसका हाथ है उस जौहरी पर अक्सर हमारी नज़र भी नहीं पड़ती । हीरे की जगमगाती ख़ूबसूरती के पीछे एक जौहरी के सधे हुए हाथ, धैर्य , मेहनत और लगन होती है। ठीक इसी तरह रियो ओलंपिक्स 2016 में भारतीय महिला बैडमिंटन की शटलर क्वीन पी. वी. सिंधु के तूफानी प्रदर्शन के पीछे उनके गुरु, कोच पुलेला गोपीचंद की कड़ी मेहनत और सिन्धु पर दिखाए अपार विश्वास का हाथ है।

गोपीचंद रोज़ाना प्रातः 4 बजे हैदराबाद के गाची बावली में अपने पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में जाते हैं, जहाँ वो पी. वी. सिंधु जैसे वरिष्ठ और बेहतरीन खिलाडियों को तैयार कर सकें।

3

Image source

गोपिचन्द हमेशा शाउट एंड प्ले की रणनीति सिखाते हैं। वो हमेशा इस बात का ध्यान रखते हैं कि वो ओलंपिक्स के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला बैडमिंटन खिलाड़ी को तैयार कर रहे है ।
रियो जाने वाले प्लेयर्स के साथ अभ्यास कर सकें इसलिए गोपीचंद खुद पिछले 3 महीने से कार्बोहायड्रेट बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से दुरी बनाये हुए हैं। वो अपने स्वास्थ के प्रति बहुत जागरूक हैं पर इस समय उनका सारा ध्यान सिंधु और श्रीकांत कादिम्बि पर था।

पिछले 1 साल से कोच गोपीचंद बहुत सावधानीपूर्वक तैयारी कर रहे हैं। सिंधु प्रशिक्षित करने के लिए एक वेट ट्रेनर और फिजिकल ट्रेनर को भी नियुक्त किया गया था। गोपीचंद सिंधु के तकनीक और प्रशिक्षण के अन्य आयामों पर ध्यान दे रहे थे , जबकि ये दोनों विशेषज्ञ उनके स्ट्रेंथ (शक्ति) और स्टैमिना (क्षमता) पर ताकि वे खेल के दौरान बिना थके अपने प्रतिद्वंदी के साथ लंबी रैली खेल सकें।

गोपीचंद के दिशा-निर्देश सिंधु के लिए ब्रम्हवाक्य होते हैं। वो उनके प्रतिदिन के शेड्यूल पर नज़र रखते हैं कि सिंधु क्या खा रही हैं, कितनी नींद ले रही है और भी बहुत कुछ। पिछले 12 सालों से सिंधु भी उनके निर्देशों का बिना किसी चुक के पालन कर रही हैं। यहाँ तक कि कोच के निर्दाशानुसार, सिन्धु अपनी पसंदीदा हैदराबादी  बिरयानी और चोक्लेट्स भी नहीं खा सकती थी।
बहुत सारे ड्रग सकैंडल्स की वजह से , गोपीचंद सिंधु के खाने के प्रति भी सजग रहते है कि कहीं कोई उनके खाने में ड्रग न मिला दे इसलिए सिंधु को बाहर का खाना और पानी तक देने से मना किया गया था।

रियो में, वो अपना प्रत्येक कौर कोच गोपीचंद के साथ ही वहां के डाईनिंग हॉल में खाती थी।
गोपीचंद ने न केवल अपने छात्रों के लिए ही सख्त नियम बनाये हैं बल्कि वो खुद भी बहुत ही कठोर नियमों का पालन करते हैं। वह रोज़ सुबह 2 बजे उठ कर सिंधु के पिछले खेलों के विडियो देखते हैं और उनकी गलतियों का मूल्याकन करते हैं।

 

गोपीचंद ने न्यूसलौंड्री को बताया कि, “चैंपियंस का निर्माण करना कोई पार्ट-टाइम काम की तरह नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त करने के लिए आपको लंबे समय तक नियमों का पालन करना पड़ता है।“

और आखिर गोपीचंद की ये सारी मेहनत और सिंधु की लगन कल, 19 अगस्त 2016 को तब सफल हुई, जब सिंधु ने ओलंपिक्स में रजत पदक जीतकर देश की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी व पहली महिला एथलीट बनने का कीर्तिमान हासिल किया।

RIOEC8J13WFJ0_768x432

photo source

 

हमे फक्र है देश के इन हीरे जैसे खिलाड़ियों पर और हमे गर्व है उन्हें तराशने वाले ऐसे गुरु पर!
मूल लेख – निशि मल्होत्रा


 

यदि आपको ये कहानी पसंद आई हो या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें contact@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X