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मोबाइल ऐप से अब सस्ते किराये पर कृषि यन्त्र ले सकेंगे कर्नाटक के किसान !

कृषि में भी अब टेक्नोलोजी के प्रयोग को बढ़ावा मिल रहा है। टेक्नोलोजी के प्रयोग से अन्नदाता के लिए आसानी से सुविधाएँ मुहैया कराने से पैदावार तो बढ़ ही रही है, साथ ही खेती की तरफ युवा पीढ़ी के जुडाव की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं। ऐसे ही एक प्रयोग के माध्यम से कर्नाटक सरकार राज्य के किसानों को सस्ती दर पर कृषि यन्त्र मुहैया कराने की योजना पर काम कर रही है।

कृषि में भी अब टेक्नोलोजी के प्रयोग को बढ़ावा मिल रहा है। टेक्नोलोजी के प्रयोग से अन्नदाता के लिए आसानी से सुविधाएँ मुहैया कराने से पैदावार तो बढ़ ही रही है, साथ ही खेती की तरफ युवा पीढ़ी के जुडाव की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं। ऐसे ही एक प्रयोग के माध्यम से कर्नाटक सरकार राज्य के किसानों को सस्ते दर पर कृषि यन्त्र मुहैया कराने की योजना पर काम कर रही है।

कर्नाटक सरकार जल्द ही किसानों के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन लांच करने वाली है, जिससे किसान जरूरत के वक़्त ट्रेक्टर से लेकर बोआई और जुताई में उपयोग होने वाले कृषि यंत्र किराए पर ले सकेंगे।

Picture for representation only. Source- wikimedia
इन यंत्रों को कुछ घंटों के उपयोग के लिए किराया देकर खेतों में काम किया जा सकेगा।
इन कृषि यंत्रों का किराया बाजार भाव से 20 से 25 फीसदी कम होगा। जहाँ बाज़ार से एक घंटे के लिए ट्रैक्टर लेने पर 500 रुपए लिए जाते हैं, वहीं इस एप्लीकेशन के माध्यम से 300 से 350 रुपए में ट्रेक्टर किराए पर लिया जा सकेगा।
कर्नाटक के कृषि विभाग के जॉइंट डाइरेक्टर ई नागप्पा ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया,
“राज्य की ई-गवर्नेंस सेल इस एप्लीकेशन पर काम कर रही है। जिसके माध्यम से उबर और ओला जैसी कंपनियों के एप्लीकेशन की तरह कृषि यंत्र और मशीनें किराए पर दी जाएँगी। इससे टेक्नोलोजी किसानों के नजदीक पहुंचाई जाएगी, जिसकी उन्हें कीमत भी कम देनी होगी।”
उन्होंने आगे बताया कि जिन किसानों को एप्लीकेशन प्रयोग करने में परेशानी आ रही है, सरकार उन किसानों के लिए एक टोल फ्री नंबर जारी करने की योजना बना रही है। जिससे उन्हें एप्लीकेशन समझने और प्रयोग करने में सुविधा प्रदान की जाएगी।
कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने प्रमुख ट्रेक्टर और कृषि यन्त्र निर्माता कंपनियों से करार किया है। साथ ही कुछ गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर प्रत्येक तालुका में करीब 175 सर्विस सेंटर खुलवाये जायेंगे, जहाँ ये सामान किसानों के लिए किराए पर उपलब्ध रहेगा। अगले तीन महीनों में पूरी प्रक्रिया के शुरू होने की उम्मीद है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंस में सीनियर रिसर्चर बी. जनार्दन ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि इस एप्लीकेशन से ऐसे किसान लाभान्वित होंगे जिनके पास कम खेती है और जो मजबूरन पुराने यंत्र प्रयोग कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर किसान सरकारी सब्सिडी मिलने के बाबजूद खेती के लिए जरुरी मशीनें नहीं खरीद पाते। उनके लिए सस्ते किराए पर उपलब्ध कराए गए यन्त्र खेती में पैदावार बढ़ाने में मदद करेंगे। लगभग डेढ़ लाख किसानों ने इस एप्लीकेशन के प्रयोग के प्रति अपनी रूचि दिखाई है।
टेक्नोलोजी के ऐसे प्रयोगों से किसानों के लिए न सिर्फ खेती आसान होगी बल्कि उनकी पैदावार के साथ हौसला भी बढेगा।
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