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मिलिए, ट्विटर के ज़रिये यात्रियों तक मदद पहुँचाने वाली रेल मंत्रालय की टीम से !

ट्विटर के जरिए रेल यात्रियों की मदद की खबरे आजकल सुर्खियां बन रही हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि यह कैसे संभव हो पाता है और इतने दिनों से इसे सफलता पूर्वक संचालित करने की क्या प्रक्रिया है, और इसके लिए कौनसे अधिकारी इतनी तत्परता से काम कर रहे है?

ट्विटर के जरिए रेल यात्रियों की मदद की खबरे आजकल सुर्खियां बन रही हैं। चाहे किसी युवती के साथ छेड़छाड़ का मामला हो या किसी बीमार बच्चे को डॉक्टर की आवश्यकता पड़ गयी हो। रेलवे के ट्विटर हैंडल @RailMinIndia पर एक ट्वीट करने की देर है, इस से जुड़े अधिकारी हर शिकायत को गंभीरता से लेते हुए, उस समय तक उस शिकायत पर नज़र रखते हैं, जब तक शिकायतकर्ता तक मदद न पहुँच जाए।

क्या कभी आपने सोचा है कि यह कैसे संभव हो पाता है और इतने दिनों से इसे सफलता पूर्वक संचालित करने की क्या प्रक्रिया है, और इसके लिए कौनसे अधिकारी इतनी तत्परता से काम कर रहे है?

यह सब मुमकिन हो पाता है, रेल मंत्रालय की चौथी मंजिल पर कमरा नंबर-454 से। यह भारतीय रेलवे का ट्विटर कंट्रोल रूम है। आइये परिचय करें यहाँ बैठने वाले मुख्य अधिकारियो से।

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Source: Flickr
  • अनंत स्वरुप , एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, जन शिकायत : 1992 के आईआरपीएस अफसर अनंत स्वरूप का काम निगरानी का है और रात के समय जब सेल कार्य नहीं करता है, तो उस समय ट्विटर पर निगाह रखना भी इनके जिम्मे है।
  • हसीन यादव, ओ एस डी : मैकेनिकल इंजिनियर हसीन यादव 2003 में आईआरएसएमई सेवा में सिलेक्ट हुए। इसके बाद उन्होंने रेलवे से इस्तीफा दिया और आईआईएम से एमबीए किया। इसके बाद यादव ने ऑस्ट्रेलिया में एक कंसल्टेंसी फर्म मैकेंजी में काम किया।
  • वेद प्रकाश, निदेशक ( सूचना एवं प्रचार ) : 1998 के आईआरटीएस अफसर वेद प्रकाश सोशल मीडिया के जानकार हैं और रेलवे के सोशल मीडिया सेल के प्रमुख हैं। रेलवे के ट्विटर सेल के चीफ भी वही हैं। किसी भी शिकायत, सुझाव या कमेंट पर एक्शन की जिम्मेदारी इन्ही के पास है।

मदद के लिए एक भी ट्वीट आने पर यह टीम एक्टिव हो जाती है। सुरक्षा सम्बंधित शिकायत को 182 पर संपर्क करने का सुझाव दिया जाता है। जीपीएस से कनेक्ट होने के कारण ट्रेन की लोकेशन पता कर लिया जाता है और उसी के लिहाज से तुरंत मदद दिलवाई जाती है। अन्य शिकायतों के लिए 138 पर संपर्क करवाया जाता है और कोशिश की जाती है कि अगले स्टेशन पर ही मदद पहुंचाई जा सके।

अनंत स्वरूप के मुताबिक, एक दिन में करीब 5-6 हजार ट्वीट आते हैं। इनमें से 30 फीसदी रि-ट्वीट होते हैं। जबकि 20-30 फीसदी कमेंट आते हैं। टीम की निगरानी खुद रेल मंत्री करते हैं। रोज रात में उस दिन की रिपोर्ट रेल मत्री द्वारा ली जाती है। साथ ही, मंत्रालय में आने के बाद ट्विटर पर सुबह आए गंभीर मामलों की जानकारी और उस पर लिए गए एक्शन पर चर्चा करते हैं। रेल मंत्री, सुरेश प्रभु खुद अपने ट्विटर हैंडल @sureshpprabhu और रेलवे के ट्विटर हैंडल @RailMinIndia पर नजर रखते हैं।

दैनिक भास्कर  में छपी एक खबर के अनुसार, रेलवे के एडीजी पीआर अनिल सक्सेना के मुताबिक, इस टीम को निजी कंपनियों के साथ-साथ पीएमओ और विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया विंग से ट्रेनिंग दिलाई गई है। कंट्रोल रूम तीन शिफ्ट में काम करता है। सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक, 2  से रात 10 बजे तक और 10 से सुबह 6 बजे तक। रात 10 से सुबह 6 बजे तक का जिम्मा अनंत स्वरुप  और अन्य रेल मंत्री के स्टॉफ के पास रहता है।

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