Placeholder canvas

महाराष्ट्र के इस शख्स ने बेटी के विवाह के खर्च में कटौती कर, किसानो को दिए ६ लाख रुपये !

हमारे देश के किसानो की हालत किसी से छुपी नहीं है। हम में से हर कोई इन किसानो की सहायता के लिए किसी न किसी रूप में योगदान भी दे रहा है। महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाको में इसी तरह कई संघटनाएं तथा आम नागरिक भी इन किसानो की मदद के लिए आगे आये है। किसानो की मदद करने वाले ऐसे ही दो अनजान नायको से आज हम आपका परिचय करवाएंगे !

हमारे देश के किसानो की हालत किसी से छुपी नहीं है। हम में से हर कोई इन किसानो की सहायता के लिए किसी न किसी रूप में योगदान भी दे रहा है। महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाको में इसी तरह कई संघटनाएं तथा आम नागरिक भी इन किसानो की मदद के लिए आगे आये है।

ऐसे ही एक नेक नागरिक है ठाणे के रहनेवाले, ५९ वर्षीय केमिकल इंजीनियर, श्री. विवेक वालके। विवेक ने किसानो की मदद के लिए. पैसे बचाने के लिए अपनी बेटी की शादी के खर्चे को लगभग आधा कर दिया।

बेटी के विवाह से करीबन ६ लाख का खर्च कम करके उन्होंने यह पूरी रकम मराठवाड़ा के दो सूखाग्रस्त गाँवों को भेंट कर दी। दान की रकम जालना जिले के पडाली तथा नांदेड जिले के दपशेद गाँव में बांटी गयी।

Picture for representation only. Source: Michael Foley/Flickr

विवेक और उनकी पत्नी वासंती हमेशा से ही किसानो के लिए कुछ करना चाहते थे। और आखिर यह मौका उन्हें अपनी बेटी की शादी में मिला। विवेक और वासंती की बेटी, ‘जाइ’ एक बायो- इन्फार्मेटिक्स ग्रेजुएट है। जब जाइ का विवाह तय हुआ तो विवाह के खर्च की भी निधि तय की गयी। पर तैयारियों के दौरान विवेक और वासंती ने सजावट और बाकि गैरज़रूरी खर्चो में कटौती कर के ६ लाख रुपयो की बचत की। २४  दिसंबर २०१५ को जाइ के विवाह के पश्चात्, वालके दंपत्ति ने यह रकम स्वयं अपने हाथो से गाँववालो को दी।

“इन गाँवों में जाने के बाद हमने ये जाना कि वहां मानसून में पानी संचय करने के साधन बन जाए तो सूखे की नौबत ही नहीं आएगी। इसलिए इस रकम को हम इस गाँव में  जलाशय बनाने में खर्च करना चाहते है।”

-विवेक ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया।

विवेक और वासंती की ही तरह एक और शख्स किसानो की मदद के लिए बड़ी तत्परता से आगे आये।

सेंट्रल रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर की हैसियत से काम करने वाले बिमान बिस्वास अपनी ४०% तनख्वाह किसानो के हित के लिए खर्च कर देते है।

इस रकम से वे मराठवाड़ा के  लगभग १० किसानो तथा उनके परिवारो की आर्थिक सहायता करते है। बिमान ने इस नेक काम की शुरुआत केवल दो किसानो की मदद करने से किया था। पर जब उन्हें लगा कि उनकी इस छोटी सी कोशिश से कई जाने बच सकती है तो वे धीरे धीरे ज़्यादा से ज़्यादा किसानो की मदद करने लगे।

“मैं अपनी सारी छुट्टियां यवतमाल और बीड के छोटे छोटे गाँवों में व्यतीत करता हूँ। किसानो की आतमहत्या, सुखा, उचित दाम, खेती के तरीको… इन सभी से जुड़े हुए है। पर उनकी समस्याएं इन सभी से परे भी है। हमारे छोटेसे योगदान से उनकी मुश्किलो में काफी कमी आ सकती है। थडी सी मदद से उनकी जाने बच सकती है। ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को आगे आकर ज़रूरतमंद किसानो के परिवार को अपनाना चाहिए।”

– टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बिमान ने बताया।

बिमान ६ महीने में रिटायर होने वाले है और अपनी बाकि की ज़िन्दगी किसानो के साथ ही बिताना चाहते है।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X